स्टोन प्रैक्रियाज की नली में कर सकता है रुकावट
लखनऊ । पित्ताशय ( गाल ब्लैडर) में स्टोन का पता लगते ही तुरंत सर्जरी कराना चाहिए। तमाम लोग इंतजार करते रहे यह सेप्टीसीमिया का कारण साबित हो सकता है। पित्ताशय की थैली का स्टोन इससे निकल कर प्रैक्रियाज की नली में फंस सकता है जिससे पेनक्रियाज की नली तक फट सकती है.
ऐसे में पैंक्रियाज का जूस इसके अगल बगल स्थिति भीतरी अंगो का खराब कर सकता है। ऐसे गंभीर स्थिति वाले मरीजों को भी इंटरवेंशन रेडियोलाजिकल तकनीक बचाया जा सकता है। संजय गांधी पीजीआई में वर्ल्ड रेडियोलॉजी डे के मौके पर इंटरवेंशन टेक्नोलॉजिस्ट देवाशीष चक्रवर्ती ने यह सलाह देते हुए कहा कि प्रैक्रियाज में स्टोन फंसने से प्रैक्रिए टाइटस होता है। पेट में तेज दर्द, बुखार की परेशानी होती है। हम लोग फंसे स्टोन को इंटरवेंशन तकनीक से निकालने के साथ ही प्रैक्रियाज डक्ट फटने से आस –पास फैले जूस को भी निकाल कर जीवन बचा सकते हैं।
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. रजनी कांत, डा. अनिल कुमार ने बताया कि परक्यूटीनियस ड्रेनेज तकनीक जिसमें अल्ट्रासाउंड से जहां पर जूस जमा स्थिति का पता लगा कर वहां ट्यूब डाल कर जूस निकालते है। नली में जाकर स्टोन को भी निकालते हैं। पित्ताशय के स्टोन के अलावा कई बार प्रैक्रियाज जूस भी गाढा हो कर स्टोन बन जाता है लेकिन 70 फीसदी मामलों में पित्ताशय स्टोन का कारण बनता है। आयोजन सचिव चीफ टेक्नोलॉजिस्ट सरोज वर्मा ने बताया कि इंटरवेंशन की ओपीडी रोज चलती है विभाग में संपर्क कर सकता है खास तौर जब प्रैक्रियाज में स्टोन फंसा हो। विभाग की प्रमुख प्रो. अर्चना गुप्ता ने कहा कि एमआरआई की वेटिंग ओपीडी मरीजों को लिए एक सप्ताह करने की दिशा में काम कर रहे हैं। तीन एमआरआई मशीन चल रही है एक ओर पीपीपी मॉडल पर लगने जा रही है। टेक्नोलॉजिस्ट अभय झा ने बताया कि पुरानी मशीन को भी चला रहे है।
आरएमएल के रेडियोलाजिस्ट डा. गौरव राज ने फोटान काउंट सीटी के बारे में बताया। यूपी एक्स-रे एसोसिएशन के अध्यक्ष राम मनोहर कुशवाहा ने कहा कि एक्स-रे टेक्नोलॉजिस्ट की बीमारी पता लगाने में अहम भूमिका है.