एचएमपीवी वायरस का अभी कोई केस राजधानी में नहीं
लखनऊ। कोरोना महामारी के पांच वर्ष बाद चीन में फिर से एक रेस्पिटरी डिजीज का संक्रमण देश में बढ़ रहा है। सोमवार को अलग- अलग राज्यों में छह बच्चों में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) का संक्रमण मिला है। हालांकि किसी हालत गंभीर नहीं है। फिर एचएमपीवी के संक्रमण ने लोगों की नींद उड़ाना शुरू कर दिया है। सर्दी जुकाम व बुखार से पीड़ित लोगों की जांच के लिए पैथालॉजियों में जानकारी लेना शुरू कर दिया है। डाक्टरों से परामर्श लेना शुरू कर दिया है, लेकिन कोरोना काल में मरीजों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व केजीएमयू के नोडल अधिकारी डा. डी हिंमाशु का कहना है कि घबराने की आवश्यकता नहीं है। बहुत से वायरस होते है। उनमें यह एक वायरस है, जो कि नया भी नहीं है। उनका कहना है कि बस सावधान रहने की आवश्यकता है। किसी भी प्रकार के संक्रमण में बचाव आवश्यक है।
विशेषज्ञ की मानें तो एचएमपीवी वायरस नया वायरस नही है। कई देशों में इस वायरस के बारे में जानकारी है। विशेषज्ञों के अनुसार यह वायरस लगभग पचास वर्ष पुराना इतिहास है। अभी तक इस वायरस का कोई वैरियंट नही है। इसकी अभी को वैक्सीन भी नहीं है आैर न ही एंटी वायरल दवा बनी है।
डाक्टरों की मानें तो एचएमपीवी वायरस का संक्रमण खांसने आैर छींकने से फैलता है। सांस की तकलीफ भी होने लगती है। संक्रमित से हाथ मिलाने, संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने, वस्तु को छूने से भी यह फैल सकता है। संक्रमित होने के बाद तीन से पांच दिनों में इसका असर दिखने लगता है। डाक्टरों की मानें तो संक्रमण ज्यादा बढ़ने पर निमोनिया या ब्राोंकाइटिस होने का भी खतरा हो सकता है। देश में गुजरात, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों में मिले संक्रमण में ज्यादातर बच्चों यात्रा का हिस्ट्री भी नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार एचएमपीवी वायरस का संक्रमण का असर अधिकांश मामलों में हल्का होता है। देखने में आया है कि छोटे बच्चों, 65 वर्ष से अधिक उम्र आैर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों पर इसका असर व्यापक रूप से देखने को मिला है। डा. डी हिमांशु का कहना है कि अभी तक कोई इस प्रकार का केस उनकी जानकारी में नहीं आया है। इसकी जांच माइक्रोबायोलॉजी विभाग की वायरल लैब में ही होगी।
एडवाइजरी
क्या करें
– खांसते या छींकते वक्त अपने मुंह आैर नाक को रुमाल या टिश्यू पेपर से ढकें।
-अपने हाथों को लगातार साबुन आैर अल्कोहल बेस्ट सैनिटाइजर से धोएं।
-भीड़ भाड़ वाली जगहों से बचें।
– बीमार है तो घर पर रहें। दूसरों से मिलने से बचें।
– खूब पानी पियें आैर पौष्टिक भोजन करें।
क्या न करें
-टिशू पेपर आैर रूमाल का दोबारा प्रयोग न करें।
– बार-बार आंख, नाक आैर मुंह को छूना
– Doctor से परामर्श के बाद ही दवा का सेवन करना।