लखनऊ । बदलती लाइफस्टाइल व खान-पान से किडनी की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। चिंता की बात यह है कि किडनी की बीमारी के लक्षण शुरूआत में नजर नहीं आते हैं। बीमारी गंभीर होती है तब मरीज में लक्षण नजर आते हैं। नतीजतन किडनी की कार्यक्षमता घट रही है। मरीज को डायलिसिस का सहारा लेना पड़ रहा है। 20 से 25 प्रतिशत मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ रही है।
गुरुवार को किडनी जागरुकता दिवस है। केजीएमयू नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विश्वजीत सिंह ने बताया कि किडनी के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। प्रत्येक ओपीडी में 150 से अधिक किडनी के मरीज आ रहे हैं। बहुत से मरीज बिना डॉक्टर की सलाह के दर्द निवारक दवाओं का सेवन करते हैं। इसकी असर किडनी की सेहत पर पड़ता है। किडनी खराब हो जाती है।
मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज समेत अन्य कारणों से भी किडनी खराब हो रही है। 40 से 50 प्रतिशत तक किडनी खराब होने के बाद मरीज को लक्षण नजर आते हैं। पहले से दवाओं से बीमारी पर काबू पाने का प्रयास किया जाता है। जीवनशैली व खान-पान में सुधार भी जरूरी है। जबकि दवाएं कारगर नहीं होती हैं तो मरीज को डायलिसिस कराने की सलाह दी जाती है।
मुफ्त जांच से बचे किडनी रोगों से
किडनी की सेहत की जांच के लिए बहुत अधिक पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त जांच से किडनी की जांच करा सकते हैं। डॉ. विश्वजीत सिंह ने बताया कि खून व पेशाब की जांच से किडनी की सेहत का पता लगा सकते हैं। डॉक्टर की सलाह पर खून में यूरिया, क्रिटिनन, शुगर की जांच करा सकते हैं। समय-समय पर ब्लड प्रेशर की भी जांच कराएं।
400 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट की आस में
पीजीआई नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि करीब 400 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार है। पीजीआई में इन मरीजों को ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई हैं। अंगदान से किडनी मरीजों की जान बचाई जा सकती है। जागरुकता की कमी से ब्रेन डेड मरीज के परिवारीजन अंगदान कम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अपनों की जान बचाने में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं किडनी दान कर रही हैं।
लक्षण
यूरीन में बदलाव संग खून आना
रात में कई बार यूरीन जाना
यूरीन में झाग या बुलबुले आना
पैरों, हाथों, या आंखों के चारों ओर सूजन
थकान और कमजोरी
भूख में कमी
हीमोग्लोबिन कम होना
पेशाब करते समय दर्द
पेट व पीठ दर्द
ब्लड प्रेशर
अनियंत्रित डायबिटीज