लखनऊ। मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए एंटीबायटिक पालिसी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में शुरू होने जा रही है। सितम्बर से शुरू हेाने वाली पालिसी में मरीजों के इलाज में एंटीबायटिक दवा देने के मानक तय कर दिये जाएंगे, डाक्टर गाइड लाइन के अनुसार ही मरीजों को दवा दी जाएगी, ताकि मरीजों की रोग प्रति रोधक क्षमता न कम हो आैर सटीक इलाज हो सके।
उपचिकित्सा अधीक्षक व वरिष्ठ डा. वेद प्रकाश ने बताया कि यह पालिसी इसलिए आवश्यक है कि वर्षो से नयी एंटीबायटिक दवा बाजार में नही आयी है आैर एंटीबायटिक के गलत प्रयोग व नियमानुसार सेवन न करने से प्रतिरोधक क्षमता घटती जा रही है एंटीबायटिक पालिसी लागू होने पर इन दवाओं का दुरुपयोग रुक जाएगा। इसके साथ जीवन रक्षक दवाओं व एंटीबायटिक दवाओं को सही प्रयोग बीमारी के अनुसार होने से मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि केजीएमयू में कुलपति प्रो. रविकांत के निर्देशन में बन रही पालिसी में मरीजों के इलाज के गाइड लाइन बन रही है जो कि अमरीकन न होकर इंडियन होगी आैर मरीजों की जांच के बाद बनी गाइड लाइन प्रभावशाली होगी। इस पालिसी के बारे में माइक्रोबायलॉजी विभाग की डा. शीतल वर्मा बताती है कि बीमारियों के इलाज में लगातार एंटीबायटिक दवाओं का सेवन तेजी से बढ रहा है।
पूरी गाइड लाइन शोध के साथ तैयार की जा रही है –
सामान्य बुखार से लेकर सर्दी जुकाम में भी लोग डाक्टर की बिना सलाह के एंटी बायटिक दवाओं का सेवन कर लेते है या डाक्टर के परामर्श पर एंटीबायटिक दवाओं का सेवन नियमानुसार नहीं करते है। ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है आैर बाद में वही एंटीबायटिक दवाएं बेअसर हो जाती है। मरीजों के डाटा बेस एकत्र किया जा रहा है ,ताकि किस प्रकार के मरीज पर कौन सी एंटीबायटिक दवा असर करती है आैर उसे इलाज के दौरान कौन सी दवा दी जाए। पूरी गाइड लाइन शोध के साथ तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि माइक्रोबायलॉजी विभाग में कल्चर जांच में स्पष्ट कर लिया जाएगा कि मरीज को कौन सी एंटी बायटिक दवाओं का सेवन किया जाए। उन्होंने बताया कि अत्याधुनिक उपकरण आ गये है कि जिनसे तीन से चार घंटे में रिपोर्ट आ जाएगी कि आैर मरीज का लाइन आफ ट्रीटमेंट तय हो जाएगा। खास कर सर्जरी के मरीजों को इससे तत्काल इलाज में सटीक मदद मिलेगी। मरीजों के डाटाबेस तैयार होने पर किसी भी विभाग में एंटीबायटिक तय करने में निर्णय लेने में देर नही होगी।