HTO से टाला जा सकता है घुटनों का प्रत्यारोपण

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Photo Source: http://bonesmart.org/

कानपुर।  ढलती उम्र में गठिया के कारण खराब हो रहे घुटनो के प्रत्यारोपण की सलाह आमतौर पर चिकित्सकों द्वारा दी जाती है मगर कम ही लोगों को पता होगा कि हाई टाइबल ओस्टियोटामी (एचटीओ) के जरिये घुटनो की शल्य चिकित्सा से प्रत्यारोपण के महंगे खर्च से बचा जा सकता है चिकित्सक इस बात से इत्तफाक रखते हैं कि एचटीओ तकनीक भारतीय परिवेश में जीवनयापन करने वाले आम लोगों के लिये मददगार है।इस तकनीक से किये गये आपरेशन के बाद मरीज को न/न असहनीय दर्द से निजात मिलती है बल्कि वह बीमारी से पहले की तरह अपनी नित्य क्रिया को आसानी से कर सकता है।

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हालांकि यह विधि 55 साल तक के मरीजों के लिये बेहद कारगर मानी गयी है। मध्यम और अल्प आयवर्ग के लिये यह तकनीक बेहद लाभप्रद है क्योंकि एचटीओ के जरिये किये गये आपरेशन में घुटना प्रत्यारोपण की तुलना में पांच गुना कम खर्च आता है और संक्रमण का भी कोई खतरा नही होता।एचटीओ विधि से किये गये आपरेशन के एक से डेढ महीने बाद स्वस्थ मरीज वजनी चीजों को उठा सकता है जबकि कृत्रिम घुटने के मामले में ताउम्र वजनदार वस्तुओं को उठाने में परहेज बरतने की सलाह दी जाती है।

हड्डी में फ्रैक्चर कर उसका सरेंखण (एलाइनमेंट) किया जाता है –

लाला लाजपत राय अस्पताल में अस्थि रोग विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक रोहित नाथ ने  बताया कि एचटीओ तकनीक में गठिया के कारण खराब हो रहे घुटने के पास एक छोटा सा चीरा लगाया जाता है और हड्डी में फ्रैक्चर कर उसका सरेंखण (एलाइनमेंट) किया जाता है।इससे पैर के दोनो ओर पडने वाला भार एकसमान हो जाता है और गठिया के कारण लंगडा कर चलने वाला व्यक्ति बीमारी से पहले की अवस्था में अर्थात सीधे चल सकता है।

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