लखनऊ । देश में पहली बार किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पैडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. एस एन कुरील ने ओरल म्यूकोजा से कृत्रिम वैजाइना ( योनि) बनाने में सफलता प्राप्त की है। ग्यारह वर्षीय बच्ची को एमआरकेएच सिंड्रोम विद वेस्टीबुलर फिस्ट्यूला नामक बीमारी थी। डा. कुरील ने एंटीयर वैजाइनल एनोरेस्टोप्लास्टी विथ ओरल म्यूकोजा ग्राफ्ट वेजोइनोप्लास्टी तकनीक से एक ही सर्जरी में वैजाइना के साथ मलद्वार भी बना दिया। अब बच्ची जिंदगी भर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकती है।
देश में इस प्रकार पहली सर्जरी करने वाले केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. एस एन कुरील बने पहले डाक्टर
डा. एस एन कुरील ने बताया कि दो हजार बच्चों में एक बच्चा ऐसा होता है जिसके जन्मजात मलद्वार नहीं होता है। लड़कियों में मलद्वार योनि में आकर खुलता है, पर दो प्रतिशत बच्चियां ऐसी होती है जिनके मलद्वार तो होता है, पर योनि( वैजाइना) नहीं होती है।ऐसे में इस बीमारी को एमआरकेएच सिंड्रोम विद वेस्टीबुलर फिस्ट्यूला कहते है। उन्होंने बताया कि अभी तक कृत्रिम वैजाइना व मलद्वार बनाने के लिए एक साथ सर्जरी नहीं की गयी थी। इसके लिए एंटीयर वैजाइनल एनोरेस्टोप्लास्टी विथ ओरल म्यूकोजा ग्राफ्ट वेजोइनोप्लास्टी तकनीक से सर्जरी करने की योजना प्लान की गयी।
बच्ची थी जन्मजात बीमारी से परेशान –
डा. कुरील ने बताया कि प्राकृतिक रूप से वैजाइना बनाने के लिए संकुचित होने वाली मांस पेशियों की आवश्यकता थी। इसके लिए बच्ची के मुंह के अंदर से म्यूकोजा की एक परत को लिया गया। इसके बाद सबसे पहले योनिद्वार से हटाकर मलद्वार को अपने प्राकृतिक स्थान पर सर्जरी करके बनाया गया। इसके बाद वैजाइना बनाने के लिए म्यूकोजा का प्रयोग किया गया। ओरल म्यूकोजा का प्रयोग करने से वैजाइना बिल्कुल प्राकृतिक हो गयी आैर उसका सम्पर्क बच्चेदानी से करा दिया गया। उन्होंने बताया कि अब बच्ची बड़ी होकर वैवांिहक व मातृत्व सुख को भी प्राप्त करने में कोई दिक्कत नही होगी। एक सर्जरी के बाद उसके सर्जरी के निशान भी नहीं बनेंगे। उन्होंने बताया कि यूएसए में होने वाली विश्वस्तरीय काफ्रेंस में इस सर्जरी के पेपर प्रस्तुत किये जाएंगे।