नई दिल्ली. अगर वैज्ञानिक इसमें सफल रहते हैं तो फिर मां बनने के लिए महिलाओं में उम्र की सीमा समाप्त हो जाएगी। 45 से 55 साल की उम्र की महिलाओं में पीरियड होना बंद हो जाता है, इस अवस्था को ही मेनापॉज कहते हैं। इसे बड़ी वैज्ञानिक सफलता माना जा रहा है। दावा किया गया है कि परीक्षण के दौरान महिलाओं के अंडाशय को पुनर्जीवित किया गया। इसके लिए रक्त उपचार के उसी तरीके को अपनाया गया, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर जख्मों को तेजी से भरने के लिए किया जाता है। इसके मुताबिक, रक्त उपचार के बाद कई महिलाओं में पीरियड होना फिर से शुरू हो गया। जिन महिलाओं में फिर से पीरियड शुरू हो गया है, उनमें 40 साल की एक महिला भी शामिल है जिसे पांच साल पहले मेनापॉज हो गया था।
महिलाओं के अंडाशय में प्रविष्ट –
वैज्ञानिकों ने प्लेटलेट से भरपूर प्लाजमा (पीआरपी) का इस्तेमाल किया जो उत्तकों और रक्त धमनियों की ग्रोथ को तेज करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पीआरपी क्षतिग्रस्त हड्डियों और मांसपेशियों की भी तेजी से मरम्मत करता है। उन लोगों ने पीआरपी को उन महिलाओं के अंडाशय में प्रविष्ट कराया, जिनका मेनापॉज हो चुका था। उनका कहना है कि इसके बाद महिलाओं में फिर से पीरियड होना शुरू हो गया।
महिलाओं का मेनापॉज
आमतौर पर 45 से 55 साल की महिलाओं के बीच खुद से मेनापॉज हो जाता है। कुछ महीने तक पीरियड्स बहुत कम होता है, उसके बाद पूरी तरह बंद हो जाता है। कई बार कीमोथेरेपी और रेडियोथेरपी उपचार के कारण बहुत-सी महिलाओं में कम उम्र में भी मेनापॉज हो जाता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि वह महिलाओं में मेनापॉज की अवस्था को पलट सकते हैं। यानी महिलाओं के बंद पीरियड को दोबारा शुरू कर सकते हैं। उनका दावा है कि कुछ महिलाओं का मेनापॉज हो गया था लेकिन उपचार के बाद फिर से उनका पीरियड शुरू हो गया।