लखनऊ। देश में पहली किसी दूसरे के हाथ का दूसरे के हाथ में प्रत्यारोपण करने वाले केरल के कोच्चि स्थित अमृता इंस्टीट्यिूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डा. मोहित शर्मा आज प्रत्यारोपण तकनीक की जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने अंग प्रत्यारोपण सेवाओं के बीस वर्ष सफलता पूर्व होने पर गोष्ठी में दी। गोष्ठी में उन्होंने बताया कि प्रत्यारोपण कराने वाले व्यक्ति दो वर्ष से सफ लता पूर्वक जिंदगी व्यतीत कर रहा है। अब जल्द ही चेहरा प्रत्यारोपण करने की तैयारी चल रही है।
डा. शर्मा ने बताया कि 2015 में 33 वर्षीय व्यक्ति का ब्रोन डेड व्यक्ति के हाथ को निकाल कर प्रत्यारोपण किया गया। दो वर्ष से सफलता पूर्वक वह प्रत्यारोपित हाथ से सफलता पूर्वक काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि दूसरे अंग अपने अंग स्वीकार नहीं करता है। इसके लिए जिंदगी भर दवा का सेवन करना होता है। उन्होंने बताया कि अब तक चार हाथ को सफ लता पूर्वक प्रत्यारोपित किया जा चुका है।
पेनिश, सिर के बाल, जबड़ा, कान भी पुर्नप्रत्यारोपण किया जा चुका है –
गोष्ठी में विभागाध्यक्ष डा. एके सिंह ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी विभाग में वर्ष 1996 में पहला कटे हाथ का पुर्नप्रत्यारोपण किया था। यह चिकित्सा क्षेत्र में यह बहुत बड़ी उपलब्धि रही। इसके बाद प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने लगतार हाथ के पुर्नप्रत्यारोपण क्षेत्र में पलट कर नहीं देखा। इसके अलावा पेनिश, सिर के बाल, जबड़ा, कान भी पुर्नप्रत्यारोपण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि अब तक छोटी बड़ी पुर्नप्रत्यारोपण को देखा जाए तो कुल 266 सर्जरी की जा चुकी है।
गोष्ठी में डा. रवि महाजन ने डिजिटल रि इम्प्लांटेशन की जानकारी दी। वहीं गोष्ठी में डा. हरि वेकटरमणी सहित अन्य डाक्टरों ने अंग पुर्नप्रत्यारोपण तकनीक की गहन की जानकारी दी।