लॉस एंजिलिस – वैज्ञानिकों ने बताया है कि अधेड़ उम्र के लोगों में लंबे वक्त तक बैठने से स्मृति लोप का खतरा बढ जाता है। इनमें भारतीय मूल की एक वैज्ञानिक भी शामिल हैं। यह अध्ययन ‘ पीएलओएस वन ” नाम के एक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसके मुताबिक शोधकर्ताओं ने 45 से 75 साल की उम्र के 35 लोगों को इसमें शामिल किया। शोधकर्ताओं में अमेरिका के लॉस एंजिलिस की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफार्निया की प्रभा सिद्धार्थ भी शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से शारीरिक गतिविधियों के स्तर आैर वे रोजाना कितने घंटे बैठते हैं, इस बारे में जानकारी मांगी। हर व्यक्ति का उच्च रिजुलेशन वाला एमआईआर स्कैन किया गया जो ‘ मेडियल टैम्पोरल लॉब ” ( एमटीएल ) के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराता है। एमटीएल दिमाग का एक ऐसा हिस्सा है जहां नई याददाश्त इकट्ठी होती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक बैठने से एमटीएल पतला हो सकता है। लंबे वक्त तक बैठने के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए अधिक शारीरिक गतिविधियां भी नाकाफी हैं। एमटीएल का पतला होना सोचने – समझने की क्षमता के कम होने का संकेत हो सकता है आैर इससे अधेड़ उम्र या बुर्जुगों के स्मृति लोप का शिकार बनने का खतरा बढ जाता है।
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