लखनऊ। ड्रग कारपोरेशन द्वारा मदर एंड चाइल्ड यूनिट के लिए खरीदे जा रहे मॉनीटर 0 से 30 दिन तक नवजात शिशुओं के इलाज में कारगर नहीं होंगे। यह मॉनीटर एक महीने से अधिक उम्र के शिशुओं के इलाज में क्रियाशील होते है। खरीदे जा रहे मॉनीटर की इस प्रकरण की शिकायत तत्कालीन प्रमुख सचिव से गयी थी। प्रमुख सचिव ने प्रथम दृष्टया गड़बड़ी देख इसकी खरीद पर रोक लगा दी थी, लेकिन एक बार फिर ड्रग कारपोरेशन मनमाने तरीके से अब वहीं उपकरण अपनी चहेती कंपनी को खरीदने देने की तैयारी कर ली है।
बताते चले कि ड्रग कारपोरेशन 34 जिलो में मदर एंड चाइल्ड विंग के लिए 500 मल्टी पैरा मॉनिटर विद सीएनएस की खरीद होनी है। इसके लिए लगभग 15 करोड़ रुपए का बजट भी दिया जा चुका है। आरोप है कि ड्रग कारपोरेशन के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी चहेती कंपनी को टेंडर देने के लिए एकल टेंडर जरिए उसे काम सौंपा था। आरोप लगा है कि कंपनी जिन मानीटर की आपूर्ति करने की तैयारी में है, वह चाइनीज प्रोडेक्ट है। जांच के बाद यूएसएफ डीए सार्टिफिकेट में विशेषज्ञों ने इस प्रोडेक्ट को नवजात शिशुओं के इलाज के लिए किसी प्रकार का मददगार नहीं बताया है।
इसके बावजूद इस ड्रग कारपोरेशन के अधिकारियों ने चहेती कंपनी को चाइनीस प्रोडेक्ट की आपूर्ति करने का काम देने तैयारी शुरू कर दी है। आरोप लगा है कि जिम्मेदार अधिकारी कमीशन के खेल में नवजात शिशुओं की जान से खिलवाड़ कर रहे है। यह मानीटर 0.30 दिन तक के शिशुओं के दिये जा रहे इलाज को सपोर्ट नहीं करेंगे। इस प्रकरण की शिकायत स्वास्थ्य मंत्री, तत्कालीन प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी से हुई थी। प्रमुख सचिव ने तत्काल इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए उपकरण की आपूर्ति लेने पर रोक लगा दी थी। प्रमुख सचिव के हटते ही उसी कंपनी को दोबारा उपकरण सप्लाई का काम सौंपे जाने की तैयारी है। अब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री किये जाने की तैयारी चल रही है। ड्रग कारपोरेशन निदेशक श्रुति सिंह का कहना है कि तत्कालीन प्रमुख सचिव जरिए जिस मॉनीटर की खरीद के लिए रोक लगाई थी। वह अभी बिना फाइल देखे नहीं बता सकती हूं।
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