लखनऊ। एचआईवी एड्स की बीमारी की रोकथाम के लिए करोड़ों-अरबों रूपए खर्च किए जाते हैं। जागरूकता के कारण एड्स के मरीजों में कमी है, लेकिन कितनी कमी आयी। यह आकड़े अभी स्पष्ट नहीं है। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) मेडिसिन विभाग व एआरटी सेंटर प्रभारी डा. डी. हिमांशु ने शुक्रवार को यूपी प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में रजिस्टर्ड 1,38,756 एड्स पीड़ित लोग हैं, जिसमें केजीएमयू एआरटी सेंटर में 13377 लोग हैं, इनमें 470 बच्चे भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि माह में 40 से 70 मरीजों के रजिस्ट्रेशन होते हैं। सेंटर में अप्रैल 2017 से वायरल लोड भी संचालित किया जा रहा है।
इससे पहले रोगियों को बनारस जाना पड़ता था। इसके लग जाने से फस्र््ट लाइन फेल होने पर जल्दी पता चल जाता है, जिससे सेकेंड लाइन की दवा जल्दी शुरू की जा सकती है। डा. हिमांशु ने बताया कि एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने से होता है। असुरक्षित यौन संबंधों, संक्रमित सर्जिकल उत्पादों एव मां से गर्भस्थ शिशु को होने का खतरा रहता है। जागरूकता से एड्स को हराया जा सकता है। प्रदेश में 38 एआरटी सेंटर का संचालन हो रहा है, इसमें एचआईवी की जांच व दवाएं मुफ्त मुहैया करायी जा रही है।
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