एलर्जी में यह इलाज कारगर

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ऐलर्जी और अस्थमा पर ५१ वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के साइअन्टिफिक कन्वेन्शन सेन्टर में किया।
इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा और एप्लाइड इम्यूनोलॉजी के तत्वावधान में केजीएमयू और एरा विश्वविद्यालय लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किये जा रहे ३ दिवसीय सम्मेलन में ५० से अधिक राष्टï्रीय और अंतर्राष्टïीय वक्ताओं और ५०० प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के पहले दिन विभिन्न प्रकार की एलर्जियों जैसे नाक की एलर्जी , श्वसन एलर्जी (अस्थमा), त्वचा एलर्जी , खाद्य एलर्जी, दवा एलर्जी से संबंधित विषयों की चर्चा हुई। इसके अलावा इम्यूनोथेरेपी सहित विभिन्न प्रकार के निदान और उपचार विधियों पर विशेषज्ञों ने चर्चा र्की।

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दिल्ली विश्वविद्यालय के सीआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक्स और इंटिग्रेटिव बायोलॉजी के डॉ ए.बी. सिंह, ने कहा कि भारत में लगभग ४० करोड़ लोग किसी ने किसी प्रकार की एलर्जी से पीडि़त हैं जैसे कि नाक की एलर्जी, आँख की ऐलर्जी , स्वास नली की बीमारी (अस्थमा), और त्वचा की ऐलर्जी आदि। इसमें से २० से ३० प्रतिशत ऐसे हैं जिनके परिवार के पहली या दूसरी पीढ़ी में ऐलर्जी का इतिहास रहा है. ऐसे लोग जिनका ऐलर्जी का पारिवारिक इतिहास रहा है उनमे एलर्जी की बीमारियां अधिक होती हैं उन लोगों की तुलना में जिनके यहाँ ऐलर्जी का इतिहास नहीं रहा होता है।

इन्डोर बाइओ-टेक्नालजी, यू.के. के कार्यकारी निदेशक डॉ जेम्स हिंडली ने कहा कि गंदगी, शिक्षा की कमी और बंद वातावरण में रहना जिनमें कालीन, सोफे और एयर कंडीशनिंग, और घर के अंदर अधिक समय बिताने जैसी चीजें शामिल हैं आदि एलर्जी की समस्यों में वृद्धि के विभिन्न प्रमुख कारक है. यूरोप में लोग ९० प्रतिशत समय अपने घर के भीतर बिताते हैं और यह प्रवृत्ति दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र और भारत जैसे देश में काफी समान है। जितना ज्यादा समय घर के भीतर बन्द माहौल में बिताया जाता है ऐलर्जी का खतरा उतना ही ज्यादा होता है।

सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि एलरजेन इम्यूनोथेरेपी, में एलर्जी के बढ़ते खुराकों से व्यक्ति को इक्स्पोज़ किया जाता है जिससे वह हाइपो सेन्सटाइज़ हो जाता है और उन एलरजेन से उसे एलर्जी नहीं होती है।

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