रक्तदान के साथ अंगदान के लिए जागरूक करना भी आवश्यक

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लखनऊ। आज समय की आवश्यकता है कि समस्त कालेज अपने छात्रों को रक्तदान के साथ-साथ अंगदान के लिये भी प्रेरित करें। इसके लिए हमें प्रयास करने होंगे, बदलाव धीरे-धीरे होता है। चिकित्सकों का कर्तव्य है कि वे मरीज को अच्छी चिकित्सा सुविधा दें। यह बात राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान पर सम्मान समारोह में कही। कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना, कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक , चिकित्सा राज्य मंत्री संदीप सिंह सहित अन्य वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।

 

 

 

केजीएमयू के ब्रााउन हाल में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि जब प्रतिष्ठित बड़ी हस्तियां, समाज सेवी संस्थायें, बड़े अधिकारी आदि रक्तदान करते हैं तो सन्देश दूर तक जाता है और लोग प्रेरित भी होते हैं। इसलिये इस सच्ची सेवा एवं महादान के लिये हमें आगे आना चाहिये तथा अधिक से अधिक कैम्प लगाकर इस महादान के प्रति जागरूकता पैदा करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी का एक प्रतिशत लोग भी अगर रक्तदान करें तो प्रदेश में रक्त की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि रक्तदान के लिए अभी पर्याप्त प्रचार-प्रसार नहीं हो रहा है। इसे और बढ़ाने की जरूरत है। कॉलेज और ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को जोड़ने की जरूरत है। क्योंकि प्रदेश में युवाओं की संख्या अधिक है। युवा साल में कम से कम दो बार रक्तदान करें। इससे प्रदेश में रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता है।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि भ्रांतियां दूर करने के प्रयास करना होगा। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाना होगा। रक्तदान से फायदे ज्यादा है। इसकी जागरूकता के लिए सभी मेडिकल कालेज में इसका प्रचार प्रसार करेंगे। केजीएमयू ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की प्रमुख डॉ. तूलिका चन्द्रा ने जो अन्न दे अन्नदाता जो रक्त दे वह जीवनदाता है। उन्होंने कहा कि विभाग 1942 में शुरु हुआ। तब से अब तक लगातार प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते हुए अब ब्लड बैंक स्टेट ऑफ आर्ट मॉडल बन गया है। ब्लड बैंक में 70 हजार से ज्यादा रक्त एकत्र होता है। जो देश में सबसे अधिक है। संस्थान में न्यूक्लीयर एसिड टेस्ट (नैट) से टेस्ट के बाद मरीजों को मुहैया कराया जा रहा है। इससे किसी भी प्रकार के संक्रमण को आसानी से पकड़ जा सकता है। पेशेवर रक्तदाता व दलालों को पकड़ने के लिए ब्लड बैंक में बायोमीट्रिक शुरू किया गया। इससे पेशेवर रक्तदाताओं की पहचान आसान हो गयी है।
कार्यक्रम में केजीएमयू कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने सभी को बधाई दी आैर उन्होंने कहाकि रक्तदान से कोई शारीरिक कमजोरी नहीं आती है। रक्तदान के 21 दिन बाद व्यक्ति फिर पहले की तरह हो जाता है। उन्होंने कहा कि विभाग में दो करोड़ रुपये की लागत से ब्लड रेडियेटर लगेगा है। इससे खून के सफेद कण जिनसे रिएक्शन हो सकता है, उसे खत्म कर सकता है।

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