लखनऊ। रायबरेली जिला अस्पताल से रेफर करके मरीज किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर भेजा गया, परन्तु यहां मरीज यहां पहुंचने से पहले ही एम्बुलेंस चालकों ने निजी अस्पताल भेज दिया। बृहस्पतिवार को मरीज निजी अस्पताल से डिस्चार्ज होकर केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर पहुंचा, तो यहां से उसे बलरामपुर अस्पताल रेफर कर दिया गया, परन्तु यहां भी पहुंचने की बजाय मरीज रास्ते ही ठाकुरगंज के स्टॉर अस्पताल पहुंच गया। तीमारदारों ने इसे लेकर हंगामा भी किया। तीमारदारों का कहना है कि वह मामले की शिकायत सीएमओ से लिखित तौर पर करेंंगे।
रायबरेली शिवगढ़ का रहने वाला नारायण (15) करीब पांच दिन पहले सड़क हादसे में घायल हो गया। तीमारदार उसे लेकर जिला अस्पताल रायबरेली पहुंचे तो वहां से मरीज की हालत गंभीर होने पर उसे केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया। यहां से चला मरीज केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर पहुंचने की बजाय पुराने लखनऊ स्थित रुखसाना हास्पिटल पहुंच गया। हालत गंभीर होने कारण परिजनों ने इलाज कराने लगे। इस दौरान मरीज से इलाज के नाम पर 70 हजार रुपए ले लिए गये। तीमारदार ने यहां इलाज में लापरवाही से परेशान थे। कोई सुनवाई न होने पर बृहस्पतिवार सुबह वहां से डिस्चार्ज कराकर खुद मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे।
डॉक्टरों ने जांच पड़ताल कराकर उसे बलरामपुर अस्पताल रेफर कर दिया। परिजन बलरामपुर अस्पताल मरीज को एंबुलेंस से लेकर चले। परन्तु एंबुलेंस चालक ने बीच में ही विशेेषज्ञों से बेहतर इलाज कराने का वादा करके मरीज को ठाकुरगंज स्थित स्टॉर हास्पिटल पहुंचा दिया। यहां मरीज भर्ती है। मरीज के पिता श्रीकृष्ण का आरोप है कि रुखासाना हास्पिटल में एंबुलेंस चालक छोड़ गया था। स्टॉर हास्पिटल के प्रबंधक इश्तियाक अहमद अस्पताल में मरीज अपनी मर्जी से आया है। जानकारी के अनुसार मरीज को कोई एम्बुलेंस चालक जबरन लेकर नहीं आया है है। उधर रुखसाना हास्पिटल के प्रबधन का तर्क है कि कहा मरीज अपनी स्वेच्छा से आया था और डिस्चार्ज होकर वापस गया है। कहा तीमारदारों के आरोप गलत है।
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