लखनऊ। कैंसर के लास्ट स्टेज में मरीज को असहनीय दर्द होता है। सबसे ज्यादा दर्द मुंह, गॉलब्लेडर व पेट के कैंसर से पीड़ित मरीजों में होता है। मॉफिन व दूसरी पेन किलर मेडिसिन देकर आराम पहुंचाने का कोशिश की जाती है। फिर भी 45 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों पेन किलर मेडिसिन फेल हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में दर्द का अहसास कराने वाली नर्व की पहचान कर उसे ब्लॉक किया जा सकता है।
यह जानकारी वरिष्ठ डॉ. मनीष सिंह ने बृहस्पतिवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय एनस्थीसिया विभाग की ओर से चार दिवसीय इंडियन कॉलेज ऑफ एनेस्थिसियोलॉजीस्ट्स (आईसीए) के पांचवा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। सम्मेलन का शुभारंभ चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा व कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने संयुक्त रूप से किया। सम्मेलन में 250 पीजी छात्र-छात्राएं, पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टाफ को कार्यशाला के माध्यम से इमरजेंसी में अल्ट्रासाउंड जांच की महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी।
डा. सिंह ने बताया कि नर्व को एनेस्थिसिया में पेन मैनेजमेंट से मरीज को काफी हद तक दर्द से निजात दिलाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि नर्व के माध्यम से दर्द का अहसास मस्तिष्क तक जाता है, लेकिन बीच में नर्व के ब्लॉक होने से मरीज को राहत मिल सकती है।
सम्मेलन में चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि अस्पताल में मरीजों की पहली मुलाकात नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ से होती है।
वह मरीज और उनके परिजनों की भावनाओं को समझते हुए इलाज की प्रक्रिया को तेज और कारगर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने छात्रों को इस कार्यशाला में अपनी स्किल्स को बढ़ाने और समय का सदुपयोग करने पर जोर देते हुए कहा कि यह कार्यशाला छात्रों के लिए अपनी क्षमताओं को निखारने का अहम अवसर है। एनस्थीसिया विभाग प्रमुख डॉ. मोनिका कोहली ने कहा कि सिर की चोट की गंभीरता का पता आई अल्ट्रासाउंड टेस्ट से लगाया जा सकता है। दरअसल आंखों की रेटीना से सिर में चोट लगने की वजह से सूजन या खून का थक्का जमने से होने वाली परेशानियों का पता चल जाता है। उन्होंने कहा कि यह जांच अस्पताल पहुंचने के बाद जल्द से जल्द बिस्तर पर ही हो जाना चाहिए।
डॉ. कोहली ने बताया कि अभी तक अल्ट्रासाउंड जांच रेडियोलॉजिस्ट ही करते अाये है। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की तत्काल जांच होनी चाहिए। कई बार रेडियोलॉजिस्ट न होने पर मरीज का इलाज प्रभावित हो सकता है। गंभीर मरीजों को तत्काल इलाज मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि कुछ मिनट में अल्ट्रासाउंड से रेटीना की जांच की जा सकती है। कार्यक्रम में देश-विदेश बड़ी संख्या में एनस्थीसिया विशेषज्ञ माजूद थे।