न्यूज। आज जब तमाम देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं, तो दुनिया का एक हिस्सा ऐसा भी है जहां लोग अब तक इस जानलेवा बीमारी से मुक्त हैं, बिना मास्क के एक-दूसरे से घुलते-मिलते हैं आैर हजारों मील दूर से महामारी के कारण मची तबाही को देख रहे हैं। ये ‘दुनिया” अंटार्कटिका है। एक मात्र महाद्वीप जो कोविड-19 से अछूता है।
इस बर्फीले इलाके में कई हफ्ते आैर महीने बिना सूरज को देखे बिताने वाले करीब 1000 वैज्ञानिकों आैर अन्य लोगों को
अब सूरज नजर आना शुरू हुआ है आैर इसके साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिये एक वैश्विक प्रयास भी इन लोगों ने शुरू किया है कि यहां आने वाले उनके सहकर्मी अपने साथ जानलेवा वायरस न लेकर आएं।
ब्रिाटेन के रोथेरा रिसर्च स्टेशन के क्षेत्र मार्गदर्शक रॉब टायलर कहते हैं कि यह ”हमारा छोटा सुरक्षित बुलबुला”” है। कोरोना पूर्व के समय में भी अंटार्कटिका आने वाले दलों के लिये दीर्घकालिक पृथक-वास, आत्म निर्भरता, मनोवैज्ञानिक दबाव एक आम बात थी जबकि बाकी दुनिया इसे बेहद हैरानी की दृष्टि से देखती थी।
उन लोगों का कहना है कि वह लोग पालियों में खाना बनाते हैं आैर मौसम संबंधी पर्यवेक्षण करते हैं।
अच्छा इंटरनेट उन्हें दुनिया के अन्य हिस्सों से जोड़ता है जहां वे धरती के बाकी हिस्सों को चपेट में ले रही महामारी के बारे में भी पढते हैं। अब तक आने वाले सहकर्मियों को लेकर ध्यान में यह रखना पड़ता था कि उन्हें तैयारी के बारे में कैसे बताना है लेकिन अब परामर्श देने की प्रक्रिया दोतरफा हो गई है।
टायलर ने कहा, ”हमें अभी तक सामाजिक दूरी के नियमों को लेकर बहुत अधिक व्यवहारिक अनुभव नहीं है।””
वहीं न्यूजीलैंड के स्कॉट बेस में एक छोटी गोल्फ आैर फिल्म निर्माण की प्रतियोगिता चल रही है।
इतनी दूर बैठकर महामारी को देखने को लेकर टीम के सर्दियों के प्रमुख आैर डॉक्टर रोरी ओकोन्नोर कहते हैं, ”मुजे लगता है कि हम अभी इससे थोड़ा अलग हैं। आप इसकी भयावहता को स्वीकार करते हैं लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसकी वजह से भावनात्मक स्तर पर मची उथल-पुथल को अभी हम पूरी तरह आंक पाए हैं।