लखनऊ। महानिदेशक द्वारा जारी पत्र के अनुसार 10 वर्ष से जनपद में सेवारत सभी पैरामेडिकल कर्मियों के स्थानांतरण को वर्तमान कोविड काल के प्रतिकूल बताते हुए इसे रोकने का अनुरोध किया है।
फेडरेशन के संयोजक के के सचान, अध्यक्ष सुनील यादव, महामंत्री अशोक कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जे पी नायक ने कहा है कि 2 साल से पूरे कोविड काल में अपने जी जान पर खेलते हुए बिना अपनी जान से परवाह किए सभी पैरामेडिकल कर्मियों ने लगातार सेवाएं दी । पैरामेडिकल कर्मी कोई वित्तीय अधिकारी नहीं होते हैं , जिनका जनपद में रहने से शासन और प्रशासन पर कोई प्रभाव पड़ता है, बल्कि उन पर जनता का विश्वास होता है इसलिए चिकित्सा कर्मी यदि जनपद में बने रहे तो शायद उससे जनता का भला ही होगा, लेकिन शासन द्वारा लगातार कड़े निर्देश देते हुए पैरामेडिकल कर्मियों को जनपद से हटाने के निर्देश दिए जा रहे हैं महानिदेशक ने पत्र भेजकर जनपदों से तत्काल कार्रवाई करने की अपेक्षा की है । *वास्तव में यह पारितोषिक है या दंड ?जो स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी सेवाएं दी है, अनेक तो अपनी जान भी दे दिए* ।
वर्तमान समय में यदि एक तरफ यह कहा जा रहा है कि कोविड-19 की तीसरी लहर की संभावना है सभी चिकित्सालयों को सजग और सतर्क किया जा रहा है, सभी चिकित्सा कर्मियों के अवकाश पर रोक लगी हुई है, ऐसे समय पर भारी संख्या में स्थानांतरण कर दिया जाना क्या उचित होगा ? *जो कर्मी स्थानांतरित होकर अन्य जनपदों में जाएंगे क्या उनके यात्रा भत्ता का भार शासन पर नहीं आएगा* ?
*जो कर्मी अन्य जनपदों में जाएंगे उन्हें शासन की तरफ से या सरकार की तरफ से कोई आवास तत्काल उपलब्ध नहीं कराया जाता है क्योंकि अल्प वेतनभोगी लोग होते हैं और वर्तमान समय में चिकित्सा कर्मियों को किराए पर कमरा तक नहीं मिल पाएगा* ।
ऐसे समय पर मानवीय मूल्यों की आवश्यकता है मानवता को देखते हुए ऐसे आदेश नहीं किए जाने चाहिए थे । अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के स्थान पर जनपद में ही स्थानांतरित किया जाता तो शासन की मंशा भी पूरी हो सकती है कोई व्ययभार भी नहीं पड़ेगा साथ ही कर्मचारी अपनी सेवाएं पूर्व की भांति देता रहेगा ।
फार्मेसिस्ट फेडरेशन ने माननीय मुख्यमंत्री जी, स्वास्थ्य मंत्री जी से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है।