न्यूज़। देश के आठ राज्यों में सामुदायिक स्तर पर किये गए रक्त सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाले एक अध्ययन के अनुसार, ‘एनीमिया” के मामलों का एक बड़ा हिस्सा विटामिन बी12 की कमी आैर वायु प्रदूषण जैसे कारणों से जुड़ा पाया गया।
हालांकि, एनीमिया आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण होता है।
‘यूरोपियन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन” में प्रकाशित अध्ययन से यह भी पता चला कि आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया कुल मामलों के एक तिहाई से भी कम हैं।
‘विटामिन बी12 इंडिया स्टडी’ आैर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पोषण संस्थान (आईसीएमआर-एनआईएन), हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने कहा कि उनके निष्कर्षों से पता चलता है कि एनीमिया के कारण के रूप में आयरन की कमी मुख्य रूप से जिम्मेदार नहीं लगती।
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, इसतरह ”इन परिणामों का एनीमिया की रोकथाम आैर सुधार के लिए नीतिगत निहितार्थ हैं।
अध्ययन के लेखकों के अनुसार, एनीमिया, एक रक्त विकार है जिसमें स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं अपर्याप्त होती हैं या खराब हो रही होती हैं। यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है आैर माना जाता है कि यह आैर भी बदतर होती जा रही है, जैसा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के रुझानों से पता चला है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण सर्वेक्षण एनीमिया के कारण की जांच नहीं करते हैं, क्योंकि वे केवल उंगली से लिये गए रक्त के नमूने के आधार पर केशिका रक्त हीमोग्लोबिन को मापते हैं।
अध्ययन दल ने 2019 के व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण का हवाला दिया, जिसमें नसों से लिए गए भारतीय बच्चों के रक्त के नमूनों में हीमोग्लोबिन के स्तर का विश्लेषण किया गया था, आैर एनीमिया की कम व्यापकता पाई गई थी।
हालांकि, अध्ययन के लेखकों ने कहा कि आयरन की कमी को एनीमिया का प्रमुख कारण माना जाता है। इस अध्ययन के लिए, पूर्वोत्तर, मध्य, पूर्व, दक्षिण आैर पश्चिम भारत के राज्यों से किशोरों, वयस्कों आैर बुजुर्गों सहित कुल 4,613 लोगों को शामिल किया गया था।
अध्ययन के लेखकों के अनुसार, ”नसों से लिए गये रक्त के नमूने पर आधारित सर्वेक्षण में, पुरुषों आैर महिलाओं में एनीमिया की मौजूदगी, उन्हीं राज्यों में केशिका रक्त-आधारित एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण के परिणामों से स्पष्ट रूप से कम पाया गया।
उन्होंने लिखा कि महिलाओं में, आठ राज्यों में एनीमिया का प्रसार 41.1 प्रतिशत था, जबकि एनएफएचएस-5 में 15 से 49 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए यह 60.8 प्रतिशत था।