यूपी में बर्न मरीजों के इलाज के समुचित संसाधन उपलब्ध नही

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लखनऊ। आग या किसी चीज से जलने वाले लोगों को घाव पर मिट्टी, बर्फ आदि घरेलू उपचार कतई न करें। इससे संक्रमण होने पर जान जोखिम में पड़ सकती है। यह जानकारी शनिवार को पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग द्वारा प्लास्टिक सर्जरी डे पर गोमतीनगर में आयोजित बर्न अपडेट में प्लास्टिक सर्जन डॉ. राजीव अग्रवाल ने दी। डॉक्टरों ने कहा कि जलने पर सबसे पहले स्किन को साफ पानी से धुलने के बाद एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी क्रीम का प्रयोग करें। विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार को चाहिये प्रदेश में बर्न यूनिट स्थापित करे। डॉक्टरों को प्रशिक्षण दें। इसके साथ ही आग, केमिकल अन्य चीजों से जलने वाले लोगों के इलाज हेतु जागरूकता अभियान चलाना चाहिये। यूपी में बर्न के मरीजों के इलाज के समुचित संसाधन उपलब्ध नही हैं।

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एसोसिएशन आफ सर्जन आफ इंडिया के अध्यक्ष व लुधियाना के प्लास्टिक सर्जन डॉ. संजीव उप्पल बताते हैं करीब 30 फीसदी तक जले हुये लोगों को यदि प्राथमिक उपचार सही से मिल जाये तो वह ठीक हो सकते हैं। डॉ. उप्पल कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में आग से जलने वाले लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और जिला अस्पताल के डॉक्टरों को चाहिये की जले हुये लोगों को प्राथमिक उपचार के तौर पर एंटी बैक्टीरियल क्रीम और ग्लूकोज आदि चढ़ाकर मरीज को कुछ राहत देनी चाहिये। इसके बाद ही रेफर करें।

अमृतसर के प्लास्टि सर्जन रवि महाजन बताते हैं कि जले हुये घाव में सिल्वर ड्रेसिंग बहुत कारगर है। नैनो क्रिस्टलाइज्ड ड्रेसिंग एक बार करने के बाद तीन से सात दिन तक चलती है। इस ड्रेसिंग की खात बात है कि घाव में संक्रमण की आंशका न के बराबर होती है। इसे जल्दी घाव भरता है। एम्स दिल्ली के प्लास्टिक सर्जन डॉ. मनीष सिंघल बताते हैं कि प्लास्टिक सर्जरी सिर्फ सौन्दर्यता तक सीमित नही है। बल्कि नाक, कान, हाथ, पैर आदि की बनावट में विकृति का प्लास्टिक सर्जन करते हैं। अक्सर हादसों में लोगों के हाथ, पैर आदि अन्य अंग कट जाते हैं। ऐसी स्थिति में प्लास्टि सर्जन की भूमिका अहम होती है। वह ऑपरेशन कर कटे या विकृति वाले अंगों को सही करता है।

प्लास्टिक सर्जरी विभाग में जल्द शुरू होगी एमसीएच की पढ़ाई

पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. राजीव अग्रवाल बताते हैं कि उनके विभाग में रेजीडेंट नही हैं। यहां पर डॉक्टर की मरीजों का इलाज करते हैं। हालांकि वह कहते हैं कि संस्थान प्रशासन की मदद से एमसीएच की पढ़ाई शुरू करने के लिये प्रस्ताव भेजेंगे। ताकि विभाग को रेजीडेंट मिल सकें। इससे मरीजों को इलाज में और सहूलियत मिलेगी। डॉ. राजीव अग्रवाल ने बताया कि बीते साल एनटीपीसी में हुये हादसे में छह घायल पीजीआई लाये गये थे। यह मरीज पूरी तरह से ठीक होकर गये। जबकि केजीएमयू व सिविल व अन्य अस्पतालों में भर्ती सभी मरीजों को राहत न मिलने पर उन्हें दिल्ली शिफ्ट करना पड़ा है।

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