लखनऊ। कहावत है कि होनहार बिरवान हो चिकने पात….लेकिन अब मेडिकल साइंस की नयी तकनीक से गर्भस्थ शिशु के हेल्थ की सटीक जानकारी किया जा सकता है। उसे कौन- कौन सी किन बीमारियों से खतरा हो सकता है। इसकी सटीक जानकारी गर्भ में ही पता चल जायेगा। यह जानकारी इंडियन सोसाइटी ऑफ प्रीनेटल डायग्नोसिस एण्ड थेरेपी के यूपी चैप्टर उद्घाटन समारोह कार्यक्रम में संस्था की उपाध्यक्ष डॉ. राजुल त्यागी ने दिया। समारोह में अन्य विशेषज्ञ डाक्टरों ने भी जेनेटिक बीमारियों पर चर्चा की।
डा. त्यागी ने बताया कि जांच में मां के खून और गर्भावस्था के दौरान गर्भ से पानी का नमूना लेकर बीमारी का सही पता लगाया जा सकता है। आगरा से आए टेस्ट ट्यूब बेबी एक्सपर्ट डॉ. नरेन्द्र मेहरोत्रा के मुताबिक गर्भ में पल रहे बच्चे के क्रोमोसोम की जांच कर उसके जेनेटिक बीमारियों के बारे में पता लगा सकते हैं। जांच के दौरान यह देखा गया है कि 13, 18, 21 व एक्स और वाई क्रोमोसोम खराब होते हैं। इन क्रोमोसोम के बच्चे जिंदा तो होते है,लेकिन गड़बड़ी होने पर मानिसक रूप से कमजोर समेत कई बीमारियों के साथ बच्चे का जन्म होता है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इन क्रोमोसोम के बच्चेे 30 साल से ज्यादा की उम्र को पार नहीं कर पाते हैं।
एक आंकड़े का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि 1000 में से 6 बच्चे इन क्रोमोसोम की गड़बड़ी के साथ पैदा होते हैं। क्रोमोसोम में गड़बड़ी की जानकारी गर्भवस्था के दौरान मिल जाती है। उन्होंने बताया कि एनआईपीटी (नॉन इवैसिव प्रीनेटल टेस्ट) से बच्चे के जन्म के पहले ही उसमें हो रही बीमारियों पता चल जाता है। इस जांच के जरिए बच्चे में क्रोमोसोम, जेनेटिक, डाउन सिंड्रोम समेत कई तरह की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। अभी एनआईपीटी जांच चाइना, अमेरिका और कोरिया में ही हो रही है।