लखनऊ। नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब खुद कमान संभालने लगे हैं। मुख्यमंत्री ने सबसे पहले फार्मासिस्ट एसोसिएशन द्वारा तबादलों में गड़बड़ी होने के संकेत मिल कर दिए थे। फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रमुख पदाधिकारी सुनील यादव ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर जिक्र किया था तबादलों में मृतक और रिटायरमेंट हो गए फार्मासिस्टो के भी नाम आने की संभावना है। उनका आरोप था कि स्वास्थ्य महानिदेशालय के जिम्मेदार अधिकारी बिना होमवर्क किए तबादलों के लिस्ट जारी कर देंगे। जिसका संदेह था वहीं लिस्ट जारी होने के बाद हो गया। फार्मासिस्ट ओ के तबादले की लिस्ट में मृतक और रिटायरमेंट हो गए फार्मासिस्ट भी शामिल थे। इस लापरवाही को मुख्यमंत्री ने संज्ञान में ले लिया था।
इसके बाद कर्मचारियों, अधिकारियों और डॉक्टरों के तबादलों में भी शिकायत मिली थी। बताया जाता है मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट दस्तक और संचारी रोग जागरूकता अभियान जब कल प्रदेशभर में शुरू किया गया, अभी शाम को स्वास्थ्य मंत्री ने दर्जनों मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की लिस्ट जारी करके तबादला कर दिया। नेशनल हेल्थ मिशन और इससे जुड़े हुए विशेषज्ञों ने परामर्श दिया इन तबादलों का सीधा असर दस्तक अभियान पर पड़ेगा। जब तक जिम्मेदार अधिकारी अपने जिलों की कमान संभालेंगे तब तक जुलाई बीत जाएगा और अभियान में पूर्वा अनुमानित सफलता नहीं मिल सकेगी। मुख्यमंत्री ने तत्काल हस्तक्षेप करते हुए अगले आदेश तक तबादलों को स्थगित कर दिया। स्वास्थ्य महानिदेशालय में तबादला स्थगित होने की आज चर्चा चल ही रही थी।
तबादले को ही लेकर एक जनपद के बाबू ने महानिदेशालय के अधिकारी पर रिवाल्वर ही नहीं तानी बल्कि फायर भी कर दिया। हालांकि महानिदेशालय के बाबुओं ने फायर करने वाले बाबू से रिवाल्वर छीन कर के उसकी जमकर पिटाई की और पुलिस के हवाले कर दिया, लेकिन यहां पर इस घटना ने स्वास्थ्य महानिदेशालय में तबादलों का खेल एक बार फिर उजागर कर दिया। स्वास्थ्य महकमे में तबादलों में भ्रष्टाचार का मुद्दा विपक्ष के हाथ लगे उससे पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तबादलों में हो रही शिकायतों की जांच के लिए तत्काल कमेटी का गठन कर दिया। अब देखना यह है कि स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह तबादलों को लेकर लग रहे आरोपों से अपने आप को कैसे बचा पाते हैं।
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