उर्दू कविता
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बड़ा ही लाज़मी धड़कनों का तमाशा है,
निगाहों ने भीड़ में आज उसे तलाशा है,
हाथों से अपने रब ने जिसे तराशा है .
– दिलीप मेवाड़ा
[box type=”info” fontsize=”16″]हर किसी में कवि छुपा होता है। कोई बाथरुम सिंगर होता है तो शब्दो की रचना कापी पर उकेर देता है। शब्द जब कविता/ शायरी बन जाते है तो उसे अभिव्यक्त करने के लिए मंच भी चाहिये होता है ऐसी रचनाकारों को हम एक मंच दे रहे है। आप अपनी कविता/शायरी/ गजल को बेहतर तरीके सजा कर हमे भेज सकते है। हमारा theamplenews@gmail.com यह मेल है। हम उसे पोर्टल के माध्यम से लोगो के बीच पहुंचाकर आपकी प्रतिभा को एक मंच दे रहे है।[/box]