बदलते मौसम में स्वास्थ्य के प्रति रहें सचेत

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लखनऊ। मौसम के मिजाज में तेजी से बदलाव हो रहा है। दिन में हल्की गर्मी और रात में हल्की ठंडक हो रही है ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सकारात्मकत रहने की जरूरत है क्योंकि जरा सी लापरवाही उनकी सेहत पर भारी पड़ सकती है और उन्हें बीमारी की जद में ला सकता है। मौसम के तापमान में तेज उतार चढ़ाव के कारण शरीर अपने आप को उसके अनुसार ढाल नहीं पाता जिससे बच्चे बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। बदलते मौसम में थोड़ी सी सावधानी बरतकर बच्चों को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं |
इस सम्बन्ध में नेशनल होम्योपैथिक काउन्सिल के पूर्व सदस्य और वरिष्ठ नेशनल होम्योपैथिक चिकित्सक डा. अनुरुद्ध वर्मा बताते हैं – इस बदलते मौसम में प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है । ऐसे में सर्दी जुकाम और बुखार आदि की परेशानी आम बात है ऐसे में बच्चों के खानपान तथा रहन-सहन के मामले में विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। इस मौसम में शाम के समय बच्चों को पर्याप्त कपड़े पहना कर ही बाहर निकलने देना चाहिए। कभी सर्द और कभी गर्म मौसम होने के कारण सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार ,गले मे दर्द, थकान जैसी बीमारियां बच्चों को परेशान करती हैं। बच्चों को पर्याप्त कपड़े पहनाने चाहिए, पंखे चलाने से बचें, ठंडे पदार्थों का सेवन भी कई बार वायरल बुखार का कारण बन जाता है। गला खराब हो जाता है इसलिये आइस क्रीम, कोल्ड ड्रिंक आदि बच्चों को नहीं देना चाहिए।
प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के लिए आवश्यक है कि उन्हें पौष्टिक आहार का सेवन कराएं । बच्चों को पर्याप्त पानी पीना चाहिए। मौसमी फलों एवँ सब्जियों का खाने में प्रयोग करें। विटामिन सी वाले फल जैसे संतरा, नींबू ज्यादा लेना चाहिए क्योंकि यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ातें हैं। इस मौसम में बच्चों को बाजार की खाने वाली वस्तुएं, पिज्जा, बर्गर,चाट ,तली भुनी चीजें,खुले फल आदि नहीं देने चाहिए | साथ ही बच्चों के लिए सुबह की सैर के साथ-साथ योग भी अच्छा व्यायाम हो सकता है लेकिन इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है इसलिए बाहर जाते समय बच्चों को मास्क लगाने की अवश्य हिदायत दें साथ ही कोविड से बचाव के अन्य प्रोटोकॉल्स को पालन करने के लिए उन्हें प्रेरित करें |
मौसम बदलते समय खांसी और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है बच्चों को रोजाना भाप लेने के साथ नमक मिले गुनगुने पानी से गरारे करना चाहिए। किसी भी प्रकार की समस्या होने पर चिकित्सक से जांच कराएँ, स्वयं इलाज न करें |

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