लखनऊ। फिल्म मर्दानी की तर्ज पर बेखौफ बदमाशों से मोर्चा लेते हुए घायल हुई निडर वृद्घ आशा चौहान की ट्रामा सेण्टर में रविवार देर रात सांसें थम गई। अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए वृद्घा ने लुटेरों के मंसूबे पर पानी फेर दिया था। लुटेरे वृद्घा का पर्स छीनने के प्रयास कर रहे थे, लेकिन बदमाशों को अपने मूंह की खाकर लौटना पड़ा था। छीना-झपटी के दौरान वृद्घा सड़क पर गिरकर ग भीर रूप से घायल हो गई थीं। परिजनों ने उन्हें ट्रामा सेण्टर में भर्ती कराया था।
घटना 6 फरवरी महानगर इलाके की है। विकासनगर के 8/391 की रहने वाले मुन्नाधारी चौहान केबल व्यवासयी हैं। उनकी 59 वर्षीय पत्नी आशा चौहान वन विभाग में प्रशासनिक अधिकारी थीं। बीती 6 फरवरी की शाम आशा अपनी 22 वर्षीय पुत्री रूपांशी चौहान के साथ स्कूटी से एक समारोह मे स िमलित होने महानगर स्थित कुंती कन्हैया कुटीर जा रही थी। स्कूटी रूपाशी चला रही थी जबकि आशा पीछे बैठी हुई थी। महानगर के क्लासिक चौराहे के पास पीछे से एक बाइक पर आये दो बदमाशों ने आशा पर झपट्टा मारकर उनका पर्स लूटना चाहा, लेकिन आशा ने बहादुरी का परिचय दिया और पर्स नही छोड़ा।
बदमाशों ने भी हार नहीं मानी और पर्स लूटने का दोबारा प्रयास किया। इस बार स्कूटी अनियंत्रित हो गई। आशा और उनकी पत्नी सड़क पर गिर कर ग भीर रूप से घायल हो गई। महिलाओं को घायल देख मौके पर राहगीरों का जमावड़ा लगने लगा। यह देख बदमाश बाइक से फर्राटा भरते हुए च पत हो गए। परिजनों ने घायलों को इलाज के ट्रामा सेण्टर में भर्ती कराया था। हालांकि रूपांशी की हालत में सुधार हो गया था, लेकिन आशा की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। रविवार देर रात आशा जिंदगी की जंग हार गई और उनकी मौत हो गई। हालाकि पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
बेटी गुहार लगाती रही अस्पताल पहुंचाने के लिए –
हादसे में घायल हुई आशा सड़क पर लहुलूहान तड़प रही थी। मौके पर राहगीरों और स्थानीय लोगों का जमावड़ा भी लग गया था। बेटी रूपांशी तड़पती मां को अस्पताल पहुंचाने के लिए लोगों से मदद की गुहार
लगाती रही, लेकिन पुलिस के खौफ और लफड़े से बचने के लिए लोगों ने चाह कर भी उसकी मदद नहीं की। रूपांशी खुद भाग कर पास में ही स्थित क्लिनिक पर भागकर गई। आशा की ग भीर हालत देखते हुए चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार के बाद घायल को निजी वाहन से ट्रामा सेण्टर में पहुंचाया था।