लखनऊ । पिछले चार सालों से बलरामपुर अस्पताल में चल रही यूनानी ओपीडी पर ताल लग सकता है। इस ओपीडी में तैनात चिकित्सक को स्वास्थ्य विभाग में स्थायी तैनाती मिल गयी है। ऐसी स्थिति में वह आयुष ओपीडी से अपना त्याग पत्र देकर नयी ज्वाइंनिग ग्रहण करेंगे। ऐसी स्थिति में सिविल, लोहिया, भाउराव देवरस सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में तैनात आयुष चिकित्सकों में इस बात की होड़ मची है कि उन्हें बलरामपुर अस्पताल में तैनाती मिल जाए। नाम न छापने की शर्त पर एक यूनानी चिकित्सक बताते हैं कि बड़े सरकारी अस्पताल में नियुक्त पाने से एक चिकित्सक की प्रोफाइल का कद बढ़ता है। इसका उदाहरण देख सकते हैं कि तमाम चिकित्सक सेवानिवृत्त होने के बाद उस संस्थान का उल्लेख करते हैं जहां उन्होंने जॉब की होती है।
बलरामपुर अस्पताल की पुरानी ओपीडी में चार साल पहले आयुष ओपीडी खोली गयी, जो अब विज्ञान भवन में आयुष विंग बनी, इसमें योग, यूनानी आैर आयुर्वेद के चिकित्सक तैनात हैं। ओपीडी में यूनानी के फार्मासिस्ट भी तैनाती हैं। कुछ समय पहले ओपीडी में दवाओं का संकट हुआ लेकिन अब पर्याप्त मात्रा में दवाएं उपलब्ध हैं। यह अलग बात है कि यहां की आयुष ओपीडी में मरीजों की लोकप्रियता हालिस नहीं कर पायी है। अस्पताल आए खदरा के मोहम्मद नावेद (34) कहते हैं कि एक तो सबको पता नहीं चलता है कि अस्पताल में आयुष ओपीडी कहां है। इतना सुनते ही पास में खड़े गोलागंज के नफीस कहते लगे दो माह पहले बुखार आया था, यहीं पर यूनानी डाक्टर से दवा ली लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बाद में एलोपैथिक इलाज करवाया। हालांकि, यूनानी चिकित्सक सलमान ने बताया कि अपनी नयी ज्वाइंनिग को लेकर मुख्य चिकित्साधिकारी व अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को शीघ्र अवगत कराएंगे।