बलरामपुर अस्पताल का 154 वां स्थापना दिवस समारोह
लखनऊ। बलरामपुर अस्पताल में जटिल बीमारियां कैंसर, न्यूरो, यूरोलॉजी का इलाज हो रहा है। इसके अलावा पीडियाट्रिक सर्जरी भी की जा रही है। यहां जिन जटिल बीमारियों का इलाज हो रहा है। उसके विभाग दूसरे सरकारी अस्पताल में नहीं हैं। मरीजों का अत्याधुनिक इलाज की सुविधा देने के लिए ऐसे ही प्रयास जारी रहना चाहिए। सरकारी स्तर पर अस्पताल की हर संभव मदद होगी। ऐसे ही बलरामपुर अस्पताल को मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर विकसित करें। यह बात उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शुक्रवार को बलरामपुर अस्पताल के 154 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही। इमरजेंसी प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ब्राजेश पाठक ने कहा कि बलरामपुर अस्पताल लगातार मरीजों का उच्चस्तरीय इलाज के लिए नए विभाग खोल रहा है। इस तरह के लगातार प्रयास इसे मेडिकल संस्थान की तरह विकसित किया जा सकता है। कार्यक्रम में स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह संिहत लोहिया संस्थान की निदेशक डा. सोनिया नित्यानंद सहित अन्य वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि इस अस्पताल में सबसे अधिक बिस्तर हैं। इसे और विस्तार दिये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मरीजों के हित में रोगी कल्याण समिति के बजट का प्रयोग करें। साफ सफाई, दरवाजे खिड़की की मरम्मत आदि कराये आैर शौचालय, रैन बसेरे आदि ठीक कराये।
इस दौरान उपमुख्यमंत्री ने लावारिश वार्ड का नाम बदलने के निर्देश दिए। हॉल में बैठे डॉक्टरों से इस संबंध में सुझाव मांगे। डॉक्टरों ने पद्मश्री डॉ. एससी राय के नाम पर वार्ड को नई पहचान देने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अब लावारिश वार्ड को डॉ. एससी राय के नाम से जाना जाएगा।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि डॉक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मरीजों को बेहतर इलाज मिलने से मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने के लिए बजट की कमी आड़े नहीं आएगी। सभी मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराएं।
लोहिया संस्थान की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि स्टैम सेल से गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है। इस दिशा में अभी और शोध की जरूरत है। गर्भ में ही जन्मजात बीमारियों का इलाज संभव हो गया है। उन्होंने बताया कि चिकित्सा के क्षेत्र में लगातार शोध हो रहे हैं।
अस्पताल के निदेशक डॉ. रमेश गोयल ने कहा कि यहां एलोपैथ, आयुर्वेद, यूनानी एवं होम्योपैथिक पद्धति की सुविधा उपलब्ध है। स्कूल ऑफ नर्सिंग भी स्थापित है। सरल तरीके से मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
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मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जीपी गुप्ता ने कहा कि अस्पताल में 776 बेड हैं। मरीजों के दबाव के मद्देनजर 843 बेड की सुविधा है। इसमें 58 प्राइवेट कक्ष हैं। आईसीयू में 28 बेड हैं। इमरजेंसी में 70 बेड हैं। 100 बेड का सुपर स्पेशियालिटी वार्ड है। यहां से प्रदेश के विभिन्न बड़े मेडिकल संस्थानों से रेफर मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। डॉ. गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में मेडिसिन, जनरल सर्जरी, एनेस्थीसिया, पैथोलॉजी, ईएनटी व आर्थोपैडिक्स में डीएनबी की पढ़ाई हो रही है। इसमें 30 डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। पीडियाट्रिक, आप्थेलमोलॉजी व टीबी एंड चेस्ट में डीएबी डिप्लोमों पाठयक्रम 16 डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। अस्पताल में प्रतिवर्ष 200 इन्टर्न को प्रशिक्षित किया जाता है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा कि एमआरआई भवन पूर्ण कराके कार्यदायी संस्था ने अस्पताल प्रशासन को हस्तगित किया जा चुका है। जल्द ही मरीजों को एमआरआई जांच की सुविधा मिलेगी। कार्यक्रम में डॉ. एमएच उस्मानी, डॉ. नरेंद्र देव, डॉ. एके गुप्ता, पूर्व निदेशक डॉ. शोभनाथ समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।