न्यूज। सरकार ने निमेसुलाइड आैर घुलनशील पेरासिटामोल गोलियों एवं क्लोफेनिरामाइन मैलेट तथा कोडीन सीरप सहित 14 एफडीसी दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसने कहा कि इन दवाओं का कोई चिकित्सीय आैचित्य नहीं है आैर ये लोगों के लिए ”जोखिम”” भरी हो सकती हैं।
‘फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन” (एफडीसी) वाली इन दवाओं पर प्रतिबंध लगाने के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी की।
प्रतिबंधित दवाओं में सामान्य संक्रमण, खांसी आैर बुखार के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली मिश्रित दवाएं शामिल हैं। इनमें निमेसुलाइड व पेरासिटामोल की घुलनशील गोलियां, क्लोफेनिरामाइन मैलेट अ कोडीन सीरप, फोलकोडाइन अ प्रोमेथाज़िन, एमोक्सिसिलिन अ ब्राोमहेक्सिन आैर ब्राोमहेक्सिन अ डेक्सट्रोमेथोर्फन अ अमोनियम क्लोराइड अ मेन्थॉल, पैरासिटामोल अ ब्राोमहेक्सिनअ फिनाइलफ्राइन अ क्लोरफेनिरामाइन अ गुइफेनेसिन आैर सालबुटामोल अ ब्राोमहेक्सिन के नाम हैं।
विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के बाद यह कदम उठाया गया है।
विशेषज्ञ समिति ने कहा कि “इस एफडीसी (फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन) का कोई चिकित्सीय आैचित्य नहीं है आैर एफडीसी से मानव के लिए जोखिम शामिल हो सकता है। इसलिए, बड़े जनहित में, आैषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26 ए के तहत इस एफडीसी के विनिर्माण, बिक्री या वितरण पर रोक लगाना आवश्यक है।””
एफडीसी दवाएं वे होती हैं जिनमें एक निश्चित अनुपात में दो या दो से अधिक सक्रिय आैषधीय सामग्री का मिश्रण होता है।
वर्ष 2016 में, सरकार ने 344 दवा संयोजनों के निर्माण, बिक्री आैर वितरण पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। यह घोषणा उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गठित एक विशेषज्ञ समिति के यह कहने के बाद की गई थी कि संबंधित दवाएं बिना वैज्ञानिक डेटा के रोगियों को बेची जा रही हैं। इस आदेश को विनिर्माताओं ने अदालत में चुनौती दी थी।
वर्तमान में प्रतिबंधित की गईं 14 एफडीसी संबंधित 344 दवाओं के संयोजन का हिस्सा हैं।