बार – बार लंग इंफेक्शंन कहीं यह बीमारी तो नही…

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वर्ल्ड लंग कैंसर दिवस पर रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में संगोष्ठी

 

 

 

लखनऊ । वर्ल्ड लंग कैंसर दिवस के अवसर पर के.जी.एम.यू. के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें देश के प्रमुख लंग कैंसर विशेषज्ञों द्वारा विगत वर्षों में लंग कैंसर की जांच एवं इलाज में हुए विकास के बारे में विस्तार से बताया गया।

इस कार्यक्रम का आयोजन रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग, यूपी चैप्टर इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, आईएमए एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशियलिटीज एवं इंटरनेशनल एसोसिएशन फार दी स्टडी आफ लंग कैंसर के तत्वधान में सफलता पूर्वक लंग कैंसर रोग के विशेषज्ञों की उपस्थित में वर्चुवल रूप से सम्पन्न हुआ। इस शुभ अवसर पर इंडियन सोसाइटी ऑफ लंग कैंसर के अध्यक्ष माननीय पद्मश्री डा. डी. बेहरा मुख्य अतिथि और वक्ता रहे।

डा. सूर्यकान्त विभागाध्यक्ष रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, नेशनल वायस चेयरमैन आईएमए–एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशियलिटीज ने बताया कि देश में लंग कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश में लगभग एक लाख लंग कैंसर के मरीज है जिनमें पुरुषों की संख्या लगभग 70 हजार है एवं महिलाओं की संख्या 30 हजार है, जिसका मुख्य कारण विगत वर्षों में बढ़ता हुआ प्रदूषण, कीटनाशक दवाओं का अत्याधिक उपयोग एवं अन्य मुख्य कारणों में धूम्रपान, के चूल्हों निकला हुआ धुआं व धूम्रपान करने वाले लोगों के आस-पास रहने वाले लोगो में धुआं का सेवन होता है।
उन्होंने आम जनमानस में लंग कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लंग कैंसर के लक्षणों के बारे में बताया जिसमें लगातार खांसी आना, सांस फूलना, खांसी के साथ खून का आना, सीने में दर्द, वजन कम होना और बार बार लंग इंफेक्शन होना। डा. सूर्यकान्त ने बताया कि लंग कैंसर के लक्षण और टी.बी. के रोग के लक्षण मिलते जुलते है, कई बार प्रारम्भिक अवस्था में ऐसे रोगियों को एक्स रे में धब्बे के आधार पर टी.बी. का इलाज दे दिया जाता है। डा. सूर्यकान्त का कहना है कि एक्स-रे का हर धब्बा टी.बी. नही होती”। लंग कैंसर के जांच के लिए केवल एक्स-रे पर्याप्त नहीं है। इसकी जांच के लिए सीटी स्कैन, ब्राकॉस्कोपी, बायोप्सी एवं हिस्टोपैथोलोजिकल एक्जामिनेशन कराने की भी जरूरत पड़ती है।

इस सत्र में डा. डी. बेहरा ने बताया कि लंग कैंसर पुरूष एवं महिलाओं में मुख्य 5 प्रकार के कैंसरों में से एक है। उन्होंने बताया कि भारत में स्क्वैमस सेल लंग कार्सिनोमा कैंसर के मरीजों की संख्या कम हो रही है वही दूसरी तरफ एडिनोकार्सिनोमा लंग कैंसर के मरीजों में लगातार वृद्धि हो रही है। इसका उपचार 4 तरीको से किया जाता है- सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरिपी एवं इम्योनोथेरेपी शमिल है। उन्होने लंग कैंसर के इलाज की प्रमुख समस्या के बारे में बताया कि 90 प्रतिशत रोगी लंग कैंसर की अंतिम अवस्था में चिकित्सकों के पास पहुचतें है, जिससे उनका इलाज संभव नहीं होता है।

ज्ञात हो कि रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग अपना 75 वाँ प्लेटिनम जुबली स्थापना वर्ष (1946 में स्थापित) मना रहा है। इस अवसर पर रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में 75 शैक्षणिक एवं सामाजिक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। आयोजन की अध्यक्षता डा. राजेंद्र प्रसाद एवं प्रो. राजीव गर्ग ने की एवं आयोजन सचिव डा. अजय कुमार वर्मा ने धन्यवाद प्रस्तुत किया।

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