लखनऊ। कोरोना के बाद दिल की परेशानी के कारण अचानक मृत्यु दर बढी है इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है। कोरोना के दौरान भी जिनमें दिल की परेशानी, डायबिटीज सहित कोई परेशानी थी उनमें मृत्यु दर अधिक थी। दिल की परेशानी के कारण होने वाली परेशानी को रोकने के लिए नियमित जांच और लाइफस्टाइल में बदलाव की जरूरत है।
साथ रहने वाले परिवार और कार्यस्थल के लोगों को सीपीआर जरूर आना चाहिए । सीपीआर देने के सांस लोटा कर अस्पताल तक ले जाने का मौका मिल जाता है। यह बात बुधवार को संजय गांधी पीजीआई के हृदय रोग विभाग के विशेषज्ञों ने कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया के चार दिवसीय( 5 से 8 नवंबर) अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन पर आयोजित प्रेस वार्ता में कही।
प्रो. रूपाली खन्ना ने बताया कि हृदय की धड़कन में अनियमितता और रक्त वाहिका में रुकावट( हार्ट अटैक) अचानक दिल के काम न करने का कारण हो सकता है। उत्तर प्रदेश की राजधानी में इस तरह के अधिवेशन होने से पर्यटन का भी बढावा मिलता हैं इससे देश विदेश के विशेषज्ञों के आने से यहां पर वह सब सुविधाएं उपलब्ध हैं।
प्रो. आदित्य कपूर ने बताया कि कोरोना के कारण इंफ्लामेशन हुआ जिसके कारण थ्रोम्बोसिस( रक्त का थक्का) की आशंका बढ़ जाती है। थ्रोम्बोसिस भी अचानक हार्ट अटैक का कारण साबित हो सकता है लेकिन पक्के तौर पर कारण के बारे में कहना संभव नहीं है। प्रो. सत्येद्र तिवारी ने बताया कि तीस साल लखनऊ में कार्डियोलाजी सोसाइटी आफ इंडिया का अधिवेशन होने जा रहा है। यह प्रदेश के लिए गर्व का विषय़ है। अधिवेशन के दौरान बचाव के साथ इलाज के नई तकनीक पर चर्चा होगी।
प्रो. अंकित साहू ने बताया कि बच्चों में भी जन्मजात दिल के बनावट की परेशानी होती है जिससे बच्चे की जिंदगी पर खतरा हो सकता है। जागरूकता की कमी के कारण तमाम लोग काफी देर में पहुंचते है जिससे इलाज की सफलता दर कम होती है। 6 हजार से हृदय रोग विशेषज्ञ देश –विदेश से शामिल होने आ रहे है। आस्ट्रेलिया से य आंद्रे एनजी, अमेरिका से डा. बी हैडली विल्सन, डा.देवब्रत मुखर्जी, यूके से डा. कौशिक रे सहित तमाम विशेषज्ञ जा रहे हैं।
सम्मेलन में देश और प्रदेश को फिजिशियन भी शामिल हो रहे है जिन्हें लक्षण के आधार पर बीमारी के जांच की बारे में जानकारी दी जाएगी। पहले लोग नजदीक के फिजिशियन के पास जाते है सही समय पर यदि यह बीमारी पकड़ कर विशेषज्ञ से पास भेज देंगे तो इलाज जल्दी मिलेगा।
दिल के इलाज की बढ़ रही सुविधाएं
प्रदेश में सरकारी और निजी क्षेत्र को मिला कर 123 कैथ लैब है और 252 हृदय रोग विशेषज्ञ है। विशेषज्ञों की संख्या बढ़ रही है। सरकारी सेंटर में भी इलाज की सुविधा बढ़ रही है। मेडिकल कालेज गोरखपुर और एम्स गोरखपुर में भी कैथ लैब शुरू हो गयी है। इंटरवेंशन के जरिए इलाज हो रहा है। हर मेडिकल काजेल में कार्डियोलॉजी विभाग की जरूरत है जहां पर सारे संसाधन है।