साइलेंट किलर हाइपरटेंशन से रहें सावधान

0
1013

हाइपरटेंशन –

लाइफस्टाइल बीमारियों में से एक ब्लडप्रेशर भी कई लोगों को अपने गिरफ्त में ले चुका है। दरअसल एक स्वस्थ्य व्यक्ति का रक्तचाप 12०/8० होना चाहिए। अगर आम आदमी की भाषा में समझें तो दिल से शोधित खून अन्य अंगों तक पहुंचाने का प्रेशर 12०/8० होना चाहिए। जब आर्टरीज यानी खून की नली जो दिल से बाकी अंगों को साफ रक्त पहुंचाती है, उसमें रक्त बहाव का प्रेशर 14० से ऊपर चला जाए ऐसी स्थिति को उच्च रक्तचाप कहते हैं। इससे भी अधिक रक्तचाप होने से खून की नली में एकाएक दवाब बढ़ जाने से दूसरे अंग के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन ब्लडप्रेशर बढ़ने के कोई पुख्ता लक्षण दिखाई नहीं देने की वजह से अक्सर लोगों को खामियाजा भुगतना पड़ता है।

Advertisement

इसलिए इस बीमारी को साइलेंट किलर भी कहते हैं। डॉक्टर भी कहते हैं कि लोगों को अपना रक्तचाप नियमित रूप से चेक करावाना चाहिए। दिल की तरफ जाती हुई नलियों में खून का बहाव तेज हो जाने से नलियों पर दवाब बढ़ जाता है जिससे किसी भी दूसरे अंगों के काम करने क्षमता  खत्म हो जाती है। ब्लडप्रेशर मुख्यत: तीन प्रमुख अंगों, किडनी, हार्ट और ब्रेन को प्रभावित करता है। उच्च रक्तचाप के चलते ये तीनों अंग फेल हो सकता है। खून का दवाब तेजी से बढ़ने के कारण दिमाग पर असर होने का खतरा रहता है, जिससे ब्रेन हैमरेज और लकवा हो सकता है।

हाइपरटेंशन से ऐसे करें बचाव –

ब्लडप्रेशर के साथ भी लोग स्वस्थ्य जीवन जी सकते हैं। बशर्ते कि वे कुछ बातों का ध्यान रखें। केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डॉ डी. हिमांशु बताते हैं कि जिन्हें ब्लडप्रेशर की शिकायत है उन्हें अपना बीपी समय-समय पर चेक कराते रहना चाहिए लेकिन जिन्हें बीपी की शिकायत नहीं है उन्हें भी छह महीने पर अपने बीपी की जांच कराते रहना चाहिए। क्योंकि हाइपरटेंशन एक साइलेंट किलर है। इसके कोई लक्षण नहीं होते। यह सीधे तौर पर कई अंगों को प्रभावित करता है जो जानलेवा भी साबित होता है।

अक्सर देखा गया है कि लोग किसी दूसरी बीमारी का इलाज कराने आते हैं तो उन्हें वहां पता चलता है कि उन्हें रक्तचाप की भी समस्या है। समय पर जांच हो जाने पर तो डॉक्टर दवा देते हैं जिससे बीपी में सुधार हो जाता है। लेकिन इसके साथ ऐसे रोगियों को अपनी दिनचर्या में भी थोड़ा बदलाव करना चाहिए। बीपी के मरीजों को अपने खान-पान का ख्याल रखना चाहिए। भोजन में नमक की मात्रा कम होनी चाहिए। इसके साथ उन्हें रोज सुबह प्राणायाम के साथ थोड़ा चलना-फिरना और हल्के-फुल्के व्यायाम करना चाहिए।

ज्यादातर हृदय रोगियों को सलाह दी जाती है कि वे तला भुना न खाएं। जीवन को आनंदमयी बनाने के लिए लोगों को बीपी के प्रति शुरू से ही सचेत रहना चाहिए। चार साल की उम्र से ही लोगों को स्वास्थ्य जांच कराना चाहिए, इससे समय रहते समस्या का पता चल सकता है।
कम से कम साल में एक बार लोग अपना बीपी चेक जरूर करवा लें। बीपी को लेकर अक्सर लोगों में यह भ्रांतियां रहती हैं कि यह समस्या सिर्फ उम्रदराज लोगों में ही होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। लोगों के रहन-सहन में बदलाव आने के साथ-साथ अब हर उम्र के लोगों को इससे खतरा है। इसलिए स्कूल और कॉलेज में भी अब स्वास्थ्य की जांच की जाती है।

हाइपरटेंशन के लक्षण –

वैसे तो इस बीमारी का कोई लक्षण नहीं होता । यह सीधे ही अटैक करती है। लेकिन अगर कभी चक्कर आएं, या फिर सिर के पीछे दर्द महसूस होतो बीपी चेक करा लें। हालांकि यह लक्षण थकान और तनाव के भी हो सकते हैं।

हाइपरटेंशन के कारण –

  • शराब में मौजूद कैलोरी से वजन बढ़ता है जो हाइपरटेंशन का कारण है।
  • गैरकानूनी ड्रग्स जैसे कोकीन, उत्तेजक व दर्दनाशक दवा (एम्फ़ेटमाइन्स और एसिटामिनोफैन) का सेवन।
  • अवसादरोधक (एंटीडिप्रेसेंट), कैफीन, जलन-सूजन प्रतिरोधक ड्रग्स और नाक में रूकावट के संबंध में ली गई दवाओं से ब्लडप्रेशर बढ़ सकता है।
  • रक्तवाहिनियों में जन्मजात दोष से भी हाई ब्लडप्रेशर हो सकता है। व्यक्ति के जींस से इस तरह के हाइपरटेंशन का पता चलता है।
  • कम नींद लेने से भी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।
    ज्यादा वजन या मोटापे से हाइपरटेंशन की समस्या जन्म लेती है। शरीर में ज्यादा वसा होगी होगा तो उसे अतिरिक्त ऑक्सीजन व पोषक पदार्थ चाहिए होंगे। इनकी पूर्ति दिल करता है। जब इस अंग पर दबाव बढ़ेगा तो ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।
  • कुपोषण या भूखे रहने से भी हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत हो सकती है। जो लोग सोडियम, ड्रिंक्स या वसायुक्त भोजन का अधिक सेवन करते हैं उन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।
  • निष्क्रियता यानी शारीरिक गतिविधियों की कमी से भी ब्लडप्रेशर का स्तर बढ़ता है। उम्र बढ़ने के साथ हाइपरटेंशन का खतरा बढ़ता है।
  • स्मोकिग से ब्लडप्रेशर का स्तर बढ़ता है। निकोटिन धमनियों को सिकोड़ देती है जिससे ह्वदय पर भार बढ़ता है।
    विटामिन-डी की कमी से भी हाइपरटेंशन हो सकता है।
Previous articleप्रदेश का उच्चस्तरीय अस्पताल बनेगा डफरिन
Next articleबैंक खाता बंद है केवाईसी नहीं भरा क्या?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here