लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में अव्यवस्था का आलम यह है कि कैंसर मरीज को 20 घंटे तक इंतजार कराने बाद भी भर्ती नहीं किया गया। आलम यह था कि ओपीडी बंद होने बाद भी उसे परिक्रमा करवाई गयी। वहां वापस लौटने पर कैजुल्टी बाहर लिटा दिया गया। भर्ती का इंतजार कर रहे मरीज की हालत गंभीर हो गयी आैर वह ऑक्सीजन लगाना पड़ गया।
बृहस्पतिवार दोपहर बिस्तर खाली न होने बताकर मरीज को कैंसर इलाज के लिए संस्थान रेफर कर दिया गया। मरीज को लोहिया संस्थान भेजा गया,यहां भी मरीज को भर्ती करने से इनकार कर दिया। इलाज की उम्मीद में आखिरकार में मरीज ने दम तोड़ दिया। तीमारदारों का आरोप है कि इलाज के अभाव में मरीज तड़प-तड़प कर मर गया।
गोंडा मनकापुर के रहने वाले राम अभिलाष (57) को तीमारदार बुधवार शाम ट्रॉमा सेंटर भर्ती कराने के लिए लाये थे। जूनियर डॉक्टरों ने मरीज को ओपीडी भेज दिया। तीमारदार का कहना है कि मरीज को लेकर किसी तरह ओपीडी गए। वहां पर ओपीडी में ताला लगा हुआ था। तीमारदार अजय ने बताया कि दोबारा ट्रॉमा लाने पर जूनियर डॉक्टरों ने बिस्तर खाली न होना बताकर वेंटिग में कर दिया। कैजुल्टी में ही किसी तरह बाहर पूरी रात बीती।
बृहस्पतिवार दोपहर तीमारदारों ने मरीज को भर्ती करने के लिए डॉक्टरों से गुहार लगाई। जूनियर डॉक्टरों ने बेड खाली न होने की बात कहकर बलरामपुर अस्पताल भेज दिया गया। करीब 20 घंटे तक इलाज न मिलने से मरीज की हालत बिगड़ती चली गयी। मरीज ऑक्सीजन को जरूरत पड़ने लगी। तीमारदार उसे एंबुलेंस से लेकर बलरामपुर अस्पताल गए। इमरजेंंसी में डॉक्टर ने कैंसर इलाज की सुविधा न होने की बात कहकर लोहिया संस्थान ले जाने की सलाह दी। लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में मरीज को भर्ती नहीं लिया गया। तीमारदार मरीज को लेकर दूसरे अस्पताल जा रहे थे तभी एंबुलेंस में मरीज की मौत हो गयी। नाती अजय का आरोप है कि ट्रॉमा में डॉक्टरों ने कहीं भी प्राथमिक इलाज मुहैया नहीं कराया। 20 घंटे के इंतजार बाद दूसरे अस्पताल भेज दिया। परिजन गिरितेश का कहना है कि वह मामले की शिकायत शासन तक ले जाएंगा।
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