लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के तीन विभागों के विशेषज्ञों की टीम ने एक्सीडेंट में घायल मरीज के इलाज में टीम वर्क करके जीवनदान दे दिया है। मरीज की गयी सर्जरी में ट्रेकिया आैर फेफड़ के बीच श्वसन नली में फंसे दस सेमी जमे ब्लड के थक्के को निकाला गया। इस ब्लड के थक्के को निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका में पल्मोनरी क्रिटक ल केयर के वरिष्ठ डा.वेद प्रकाश की भूमिका महत्वपूर्ण थी। डॉक्टरों ने सांस की नली में जमे खून के दस-दस सेमी के थक्के निकालकर मरीज की जान बचाई है। इस सर्जरी में पल्मोनरी, ईएनटी और न्यूरो सर्जरी की संयुक्त टीम शामिल थी। विशेषज्ञ डा. वेद का मानना है कि यह काफी जटिल केस था। इस तरह का पहला केस उन्होंने देखा है।
डा. वेद प्रकाश ने बताया कि गोमतीनगर के रहने वाले संदीप कटियार (31) 25 जून को एक्सीडेंट हो गया था। इसमें उनके जिसकी वजह से हेड इंजरी में सिर के पीछे का हिस्सा (बेस ऑफ स्कल फ्रैक्चर) चोटिल हो गया। उसकी हालत को गंभीर देख कर वेंटिलेटर पर भर्ती किया गया था। इस दौरान ब्लीडिंग हो रही थी, इससे फेफड़े भी संक्रमित होने लगे थे। डाक्टरों के अनुसार सांस की नली (ट्रैकिया) में खून का थक्का जम गया था। ब्लड का थक्का धीरे- धीरे कड़ा होता जा रहा था ।
पल्मोनरी के डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि ब्लड का थक्का सांस की नली और उससे दाएं-बाएं फेफड़े से जुड़ी ब्राांकोस नली में भी जम रहा था। ब्लड का थक्का को हटाने के लिए छह बार ब्रांाकोस्कोपी करनी पड़ी। उन्होंने बताया कि दस सेमी लंबी सांस की नली और ब्रांाकोस में खून का थक्का बुरी तरह फंसा हुआ था।
डॉ. वेद ने बताया कि 16 जुलाई को हालत बिगड़ने पर इएनटी विभाग के डा. वीरेन्द्र मिश्र के सहयोग से पहले तो मरीज के मुंह से सांस की नली में ट्यूब डालकर थक्के निकाल दिया गया। इसके बाद सांस की नली (ट्रैकिया) में सीने के पास से छेदकर ट्यूब डाला गया और ब्लड के थक्के को निकाल दिया गया।
मरीज संदीप कटियार 25 जून से लगातार पंद्रह दिन तक बेहोश ही था। उसको सबसे पहले न्यूरो सर्जरी और उसके बाद आरआईसीयू लाया गया। सर्जरी के बाद मरीज खतरे से बाहर है और दो दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। परिजनों ने बताया कि उनके इलाज में अभी तक करीब दो लाख रूपए खर्च हुए। डा. वेद का कहना है कि अगर निजी अस्पताल में होते तो अब तक दस लाख से ज्यादा खर्च हो गये थे।
सर्जरी की टीम में न्यूरो, पल्मोनरी और ईएनटी विभाग के डॉक्टर और उनकी पूरी टीम थी। डॉ. वेद यादव, डॉ. अजय वर्मा, डॉ. अंकित, डॉ. विरेंद्र, सुनील, डॉ. मनीष, डॉ. मनीष जायसवाल, डॉ. नील, डॉ. एना, डॉ. प्रशांत, डॉ. अमृतेश, डॉ. विकास, डॉ. संतोष, डॉ. आकाश, डॉ. इमरान, डॉ. ऑलिया, डॉ. मेराज अहमद, डॉ. हीना, डॉ. पूजा, डॉ. प्रियंका, डॉ. शिवानी आदि थे।
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