बिहार में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम बुखार से 63 बच्चों की मौत

0
643

न्यूज। बिहार में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम(एईएस) से अब तक 63 बच्चों की मौत हो चुकी है। मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. शैलेष प्रसाद सिंह ने आज यहां बताया कि जिले के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में इस बीमारी का इलाज करा रहे 52 तथा केजरीवाल अस्पताल में 11 बच्चों की मौत अब तक हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से पीड़ति एसकेएमसीएच में भर्ती 68 बच्चों में नौ ही हालत गंभीर है जबकि केजरीवाल अस्पताल में नौ में से पांच बच्चों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। सभी आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों अस्पताल में अलग-अलग जिले से आये बच्चों का इलाज चल रहा है।

Advertisement

श्री सिंह ने बताया कि इस बीमारी की रोकथाम और इसके प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए ग्रामीण क्षेाों में लाउडस्पीकर के माध्यम से जहां प्रचार-प्रसार किया जा रहा है वहीं घर-घर जाकर एहतियात बरतने के लिए पैम्फलेट बांटे जा रहे हैं। साथ ही प्रत्येक घर तक ओआरएस के पैकेट का वितरण भी किया जा रहा है। इसके लिए अलग से कई टीमों का गठन किया गया है, जिनमें आशा कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं को शामिल किया गया है। टीम के सदस्यों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि घर-घर ओआरएस के पैकेट पहुंचाये जायें।

इस कार्य में तनिक भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सिविल सर्जन ने बताया कि अभिभावकों को बच्चों में उच्च ज्वर, सर्दी, सिर दर्द जैसे कोई भी लक्ष्ण दिखाई देने के बाद उन्हें नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी गई है। एईएस से ग्रसित बच्चों में जापानी एन्सेफलाइटिस, मलेरिया, जल जनित बीमारियों जैसे लक्षण पाये जाते हैं। उन्होंने बताया कि एईएस से ग्रस्त बच्चों को नजदीक के अस्पताल में भर्ती करने के बाद उन्हें बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। ऐसे मरीजों के इलाज पर होने वाले सभी तरह के खर्च का वहन राज्य सरकार कर रही है।

श्री सिंह ने बताया कि बच्चों में एईएस का लक्षण दिखने के दो से तीन घंटे के भीतर इलाज शुरू हो जाने से उनके बचने की संभावना 80 से 90 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि प्रचंड गर्मी और आद्र्रता ने एईएस की समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर रोगी वाहन (एंबुलेंस) की व्यवस्था की गई है। साथ ही यदि कोई निजी वाहन से मरीज को पहुंचाता है तो उसे सरकारी दर पर भुगतान कर दिया जाता है।

सिविल सर्जन ने बताया कि इस रोग की जांच करने के लिए डॉ. अरुण कुमार के नेतृत्व में आई केंद्रीय टीम ने जिले के कांटी प्रखंड का सघन दौरा किया है। इस प्रखंड में चमकी बुखार से अब तक सर्वाधिक बच्चों की मौत हुई है। टीम ने कांटी प्रखंड के अलग-अलग गांवों का दौरा कर लोगों से बच्चों के खान-पान के संबंध में जानकारी जुटाई है।

अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.

Previous articleराशिफल – शुक्रवार, 14 जून 2019
Next articleतीसरा सफल लिवर प्रत्यारोपण कर केजीएमयू ने पाया नया मुकाम

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here