kgmu : बिलिंग पूरी , फिर भी बकाया बता भुगतान होने पर दिया शव

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में मरीज और तीमारदारों के लिए पारदर्शिता के लिए शुरू किया गया ऑनलाइन सिस्टम से लोग परेशान है। आरोप है कि इलाज के नाम पर बिलिंग काउंटर पर 38 हजार रूपये जमा करने के बाद भी मरीज की मौत होने के बाद तीमारदारों को एनओसी देने के लिए दस हजार रूपये अधिक जमा करने के लिए मजबूर किया गया। जब तीमारदारों ने दस हजार रूपये ट्रामा सेंटर स्थित बिलिंग काउंटर पर जमा किया, उसके बाद ही मरीज का शव ले जाने के लिए पेपर तैयार किये गये। इस बात की पुष्टि आईटी सेल भी करता है। केजीएमयू आईटी सेल का तर्क है कि दिल्ली स्थित मुख्यशाखा नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) का सूचना दे दी गयी है।

 

 

 

 

बहराइच के गांव मरौचा निवासी पुष्पा तिवारी (67) को किडनी में परेशानी के चलते पहले ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया और बाद में शताब्दी अस्पताल में शिफ्ट कराया गया था। पुष्पा तिवारी के बेटे सलिल तिवारी ने बताया कि उनकी मां की मौत चौदह दिसंबर की रात में हुई थी, जिसके बाद जब पेपर वर्क पूरा करके शव को ले जाना चाहे तो उन्हें बताया गया कि बिलिंग काउंटर पर बकाया जमा करने के बाद शव ले जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि रात का समय होने के चलते पहले उन्हें सीएमएस कार्यालय स्थित बिलिंग काउंटर पर भेजा गया। वहां पर बकाया तीन हजार रुपये बताया गया। फिर वहां पर ट्रामा स्थित बिलिंग काउंटर पर पैसा जमा कराने के लिए कहा गया।

 

 

 

 

 

जब ट्रामा स्थित बिलिंग काउंटर पर पहुंचे तो जो बकाया तीन हजार, वहां पहुंचने पर दस हजार हो गया। जबकि प्रतिदिन निर्देशानुसार सभी बिलिंग की जा रही थी। ऐसे में जब सभी बिल की कॉपी बिलिंग काउंटर पर दिखाई गई। वहां पर बिलिंग काउंटर पर बैठे कर्मी ने भी माना की पूरी धनराशि तो जमा हो चुकी है,लेकिन कम्प्यूटर में दर्ज बकाया दस हजार शो करने पर जमा करने पड़ेगें। भले बाद वह रिटर्न कर दिये जाए। नोंक झोंक भाग दौड़ के बीच तीमारदार सलिल का तीन घंटे का समय गुजर चुका था। उन्हें मां का शव गांव ले जाना था। इसलिए मजबूरी में दस हजार रुपये जमा करके एनओसी दिखा कर शव कब्जे में लिया।

 

 

 

 

कुछ दिन बाद तीमारदार सलिल तिवारी ने इस पूरे मामले में सीएमएस से लिखित शिकायत में सभी दस्तावेज की फोटो कापी लगाकर उचित कार्रवाई करने की मांग की। इस मामले में केजीएमयू के आईटी सेल की तरफ से भी मरीज से अधिक पैसे लिये जाने की बात स्वीकार करता है। उनका मानना है कि दिल्ली स्थित नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) आईटी सेल की तरफ से तक नीकी दिक्कत हुई है। उनका कहना है कि एनआईसी को इस मामले में कई बार लिखा गया है,लेकिन वहां से कोई उत्तर नहीं मिला है। इस बारे में केजीएमयू के प्रवक्ता डा. सुधीर का कहना है कि शिकायत पर मामले की जांच करायी जा रही है।

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