लखनऊ। अब बिना फार्मासिस्ट के मेडिकल स्टोर नहीं चल पाएंगे। एक लाइसेंस पर कई मेडिकल स्टोर चलाना कठिन होगा। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिना फार्मासिस्टों के चल रहे फुटकर व थोक मेडिकल स्टोरों पर राज्य सरकार से जवाब मांगा। न्यायालय ने पूछा है कि निरीक्षण के दौरान इस प्रकार के मामलों पर क्या कार्रवाई की गई। न्यायमूर्ति एपी साही और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने यह आदेश आशा मिश्रा व अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिए।
याचिका में कहा गया है कि मेडिकल के थोक व फुटकर दुकानों पर बिना फार्मासिस्टों के दवाएं बेची जा रही हैं। एक-एक फार्मासिस्ट को कई-कई दुकान पर काम करता दिखाया जाता है, जो सम्भव नहीं है। याचिका में कहा गया कि यही नहीं कई स्थानों पर तो फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर फार्मासिस्ट काम कर रहे हैं।
मेडिकल कालेज के कर्मचारियों की समस्याएं गिनायीं –
पिछले कई से लम्बित समस्याएं के निस्तार के लिए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा से मुलाकात कर प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों के कर्मचारियों की समस्याओं पर चर्चा की। परिषद के प्रदेश महामंत्री अतुल मिश्रा के नेतृत्व में मिले इस प्रतिनिधिमंडल में उनके साथ मेडिकल कालेज कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष विपिन त्यागी भी थे। श्री मिश्रा ने बताया कि उनकी समस्याओं में मुख्य रूप से वे समस्याएं शामिल थीं जिन पर शासन स्तर पर हुई बैठक में सहमति बन चुकी थी, लेकिन उनका निराकरण नहीं किया जा रहा है। माना जा रहा है कि कर्मचारियों के हित में कोई निर्णय हो पाएगा।