बिना सर्जरी ब्रेन हेमरेज के मरीज को इस तकनीक से किया ठीक

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डॉ कुलदीप यादव

लखनऊ। प्रदेश के किसी चिकित्सा संस्थान में पहली बार बिना चीरा लगाए दिमाग नस को (ब्रेन हेमरेज) मिनी फ्लो डाइवर्टिंग स्टंट (सिल्क विस्टा बेबी) तकनीक से ठीक कर दिया गया। इस तकनीक का प्रयोग गोमती नगर स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरो सर्जन डा. कुलदीप यादव ने किया ।बिना चीरा लगाए दिमाग की फटी नस को दुरुस्त करने में कामयाबी हासिल की है। तकनीक का प्रयोग करने वाले डॉक्टर का दावा है कि यह प्रदेश के किसी चिकित्सा संस्थान में यह प्रयोग पहली बार किया गया है। अब मरीज पूरी तरह से ठीक होने के साथ ही अपने करीबियों को पहचान रहा है।

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वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉक्टर कुलदीप यादव ने बताया गोरखपुर निवासी 34 साल की महिला के सिर में तेज दर्द होने लगा। दर्द इतना तेज था कि वह बेहोश हो गई। परिजनों ने तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया। जहां वह इलाज के दौरान कभी होश में आती, तो कभी बेहोश हो जाती। डॉक्टरों ने मरीज को रेफर कर दिया। परिजन 31 जुलाई को लोहिया संस्थान लेकर पहुंचे। यहां न्यूरो सर्जन डा. कुलदीप यादव ने मरीज की एंजियोग्राफी की तो पता चला कि दिमाग के पिछले भाग में एक महीन नस (एनुरिज्म) फट गई है। डॉक्टर ने परिजनों को बताया गया कि इसमें तीन विकल्प हंै। ओपेन सर्जरी, नार्मल स्टंट और मिनी फ्लो डाइवर्टिंग स्ंटट। तीनों तकनीक के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया पूरी जानकारी के बाद परिजन मिनी फ्लो डाइवर्टिंग स्टंट के लिए राजी हो गए। डॉ यादव ने बताया वर्तमान में यह स्टंट 11 लाख का है, लेकिन संस्थान में शोध कार्य में प्रयोग होने की वजह से सात लाख में मिल गया।

उसे इस तकनीक का प्रयोग करते हुए स्टंट को दो अगस्त को मरीज को लगा दिया गया है। तकनीक के प्रयोग के बारे में बताते हुए डॉ यादव ने कहा कि खास बात यह है कि इस स्टंट को जांघ के पास (फेमोराल धमनी) के जरिए ले दिमाग तक ले जाया गया। इस प्रयोग के दौरान मरीज को सिर्फ एक इंजेक्शन लगने जैसा एहसास हुआ। मरीज खुद से खाना खा रहा है। सभी को पहचान रहा है। दो दिन बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। डा. कुलदीप यादव ने बताया कि प्राइवेट अस्पताल में यह 15 लाख रुपये में लगाई जा रही है, जबकि लोहिया संस्थान में सिर्फ सात लाख खर्च आया है। डॉ यादव ने बताया कि कहा

मरीज को ब्रेन एनुरिज्म था। इसमें दिमाग की बारीक नस गुब्बारे की तरह फूल गई थी और वहां से खून रिसाव के जरिए दिमाग के दूसरे स्थान पर पहुंच रहा है। ऐसे में मरीज की जान जाने अथवा अपाहिज होने, याददाश्त खत्म होने का खतरा बढ़ता जा रहा रहा था। डॉ कुलदीप यादव ने बताया कि सर्जरी के दौरान विशेष सावधानी रखनी पड़ती है। आसपास की किसी भी आर्टरी में टच होने पर मरीज का शरीर से नियंत्रण खोने का डर रहता है। इस विशेष सर्जरी में
लोहिया संस्थान के न्यूरो सर्जन डा. कुलदीप यादव के साथ डा. डीके सिंह, डा. मोहम्मद कैफ, डा. विपुल, डा. विपिन, डा. अरुण, लैब टेक्नीशियन विपिन व अन्य स्टाफ मौजूद थे।

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