लखनऊ। राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में सोमवार को जयपुर में आक्रोशित डॉक्टर सड़कों पर उतर आये। वहीं इस बिल के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी अपना समर्थन डॉक्टरों को दिया है। साथ ही देशव्यापी बंद का आह्वान किया था। लखनऊ में भी राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ डॉक्टरों ने विरोध जताया है। हालांकि यहां पर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य सेवायें ठप्प न करते हुए बल्कि काला फीता बांध कर विरोध जताया है। जल्द ही स्वास्थ्य सेवायें भी ठप करने को मजबूर होंगे।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की लखनऊ इकाई के प्रवक्ता डॉ. प्रांजल ने बताया है कि आज शाम चार बजे लखनऊ आईएमए की एक बैठक होगी। जिसके बाद बिल के विरोध को लेकर कार्ययोजना तैयार होगी।
राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है जहां पर राइट टू हेल्थ बिल को मंजूरी दे दी गई है, लेकिन इस बिल को लेकर चिकित्सकों का एक बड़ा वर्ग नाराज है और वह चाहता है कि इस कानून को वापस लिया जाये। राजस्थान सरकार की घोषणा के बाद इस कानून का सबसे पहले विरोध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने किया। आईएमए के पदाधिकारियों की माने तो इस इस बिल में निजी अस्पतालों और डॉक्टरों की अनदेखी की गई है।
आईएमए में एकत्र हुए डाक्टरों की माने तो राइट टू हेल्थ बिल के तहत निजी अस्पतालों को भी सभी बीमारियों का इलाज निशुल्क करना होगा। ऐसे में निजी अस्पताल के खर्चे कैसे निकलेंगे और जब खर्च ही नहीं निकलेगा तो अस्पताल बंद हो जायेंगे। हालांकि सरकार का यह दावा है कि जो मरीज पैसे देने की स्थित में नहीं होगा। उसके इलाज का खर्च सरकार उठायेगी। दरअसल, इस बिल के जरिये राजस्थान में लोगों के लिए स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच का अधिकार देने की बात की जा रही है। आई एमए में विरोध करने में डा. जेडी रावत, डा.संजय सक्सेना, डा. वीपी सिंह, डा. अनूप अग्रवाल सहित अन्य डाक्टर मौजूद थे।