न्यूज़। शोध में पता चला है कि कोरोना से संक्रमित कौन सा मरीज गंभीर हालत में पहुंच सकता है या उसे ऑक्सीजन की जरूरत होगी या फिर जल्दी ही वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है। यह शोध वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि खून की एक सामान्य जागते इन सवालों का जानकारी हासिल की जा सकती है। शोधकर्ताओं ने खून में मौजूद उन पांच बायो मार्कर की पहचान कर ली है जो की कोशिकाओं में सूजन और ब्लीडिंग को जन्म देते हैं।
आमतौर पर देखा गया है कि करोना के संक्रमित मरीजों में फेफड़े में सूजन और ब्लीडिंग की शिकायत बन जाती है। जोकि मौत का खतरा बन सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है पांचों बायो मार्कर साधारण ब्लड की जांच में पकड़ में आ जाते हैं। शोधकर्ताओं ने 299 से संक्रमित मरीजों के खून की जांच की। इनमें 200 मरीजों में पांचों बायो मार्कर सामान्य से कहीं ज्यादा मिले। शोध में il-6 यह बायो मार्कर प्रतिरोधक कोशिकाओं को अत्यधिक सक्रिय करके स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। दूसरा डी- डाइमर यह बायो मार्कर खून के थक्के टूटने पर रक्त में इस प्रोटीन के अंश दिखे ऐसा देखा गया तो वायरस नसों को नुकसान पहुंचा रहा था। तीसरा बायो मार्कर फेरिटिन यह आयरन को संरक्षित करने में मदद करता है यह प्रोटीन इसकी कमियां अधिकता से रक्त की कोशिकाओं में गड़बड़ी होने लगती है। चौथा बायो मार्कर लैक्टेट डिहाईड्रोजिनेज यह लैक्टिक एसिड में मौजूद एक एंजाइम है, यह क्षतिग्रस्त ऊतकों की मदद के लिए शरीर में ब्लडिंग करने लगता है। पांचवा बायो मार्कर सी- रिएक्टिव प्रोटीन है यह सीआरपी के नाम से जाना जाता है यह सूजन बढ़ने पर लीवर के प्रोटीन का स्राव होने लगता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर ब्लड की जांच से मरीज के बायो मार्कर की पहचान हो जाए तो मरीज का बेहतर इलाज किया जा सकता है।