केजीएमयू में कार्यशाला
लखनऊ। थैलसीमिया मरीजों के इलाज में बोनमैरो प्रत्यारोपण अधिक सफल पाया गया है। सही समय पर बोनमैरो प्रत्यारोपण से काफ ी हद तक मरीज बीमारी निजात पा सकते हैं। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सेंट्रल फॉर एडवांस रिसर्च (सीएफएआर) की डॉ. नीतू निगम ने बृहस्पतिवार को ब्रााउन हॉल में वार्षिक थैलसीमिया अपडेट 2024 को संबोधित करते हुए कही।
केजीएमयू और थैलसीमिया इंडिया सोसाइटी की ओर से आयोजित कार्यशाला में डॉ. नीतू निगम ने कहा कि थैलसीमिया आनुवांशिक बीमारी है। इसमें मरीजों में ब्लड निर्माण की प्रक्रिया प्रभावित होती है। एनीमिया के कारण थकान, सांस फूलना, त्वचा का पीला होना और स्प्लीन का बढ़ना सहित अन्य समस्या उभर आती है। ऐसे मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए समय-समय पर मरीज को ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
उन्होंने बताया कि मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए बोनमैरो ट्रांसप्लांट बेहतर उपाय है। देश के कुछ खास संस्थानों में बोनमैरो ट्रांसप्लांट हो रहा है। राजधानी में केजीएमयू, पीजीआई समेत अन्य निजी मेडिकल संस्थानों में भी थैलसीमिया मरीजों को इलाज किया जा रहा है।
डॉ. गौरव ने कहा कि बोनमैरो प्रत्यारोपण पूरी तरह से सेफ है। डोनर और मरीज के ब्लड संबंधी जांचों का ठीक से मिलान होना चाहिए। यह जांच प्रत्यारोपण की सफलता दर तय करता है। कार्यक्रम में डॉ. शैलेंद्र सिंह, डॉ. विमला वेंकटेश, हिमैटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एसपी वर्मा समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे। कार्यक्रम में थैलसीमिया पीड़ित मरीज व उनके तीमारदारों ने भाग लेते हुए अपने- अपने अनुभव साझा किए।