बोन मिनिरल डेंसिटी से कमजोर हड्डी की सटीक जांच

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लखनऊ। शराब, तम्बाकूं के अलावा दवाइयों के अत्यधिक सेवन से हड्डियां भी कमजोर हो जाती है। कमोबेश यही हाल उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों का भी होता है। हड्डियों की क्षमता मापने के लिए बोन मिनिरल डेंसिटी नयी तकनीक है। इससे सटीक जानकारी मिल जाती है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के गठिया रोग विभाग के प्रमुख डा.अनुपम बाखलू ने यूपी चैप्टर ऑफ एसोसिएशन ऑफ फिजीशियन ऑफ इंडिया के तत्वाधान में अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में आयोजित वार्षिक अधिवेशन में दी। इस अवसर पर आयोजित क्विज प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया।

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उन्होंने बताया कि (डुएल एनर्जी एक्स रे) तकनीक के द्वारा इस को मापा जाता है। उन्होंने बताया कि 50 वर्ष के बाद खासतौर से महिलाओं में मासिक बंद होने के बाद यह समस्या ज्यादा दिखाई देती है। इसके बचाव के लिए भोजन में कैल्शियम को ज्यादा ज्यादा मात्रा में शामिल करना, विटामिन डी थ्री का सेवन करना एवं नियमित व्यायाम व्यायाम करना चाहिए। उन्होंने बताया कि यदि मरीज लंबे समय से बिस्तर पर हैं, तो बोन लॉस की वजह से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि फेमस टूल डेकसा के द्वारा हड्डी के टूटने की संभावना का पता लगाया जाता है यदि व्यक्ति शराब तंबाकू का सेवन करता है तो हड्डी टूटने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।

अधिवेशन में डा. राम मनोहर लोहिया संस्थान के निदेशक प्रोफेसर ए.के. त्रिपाठी ने साइटोपेनिया बीमारी पर जानकारी देते हुए कहा कि जब मरीजों में आर.बी.सी. और डब्ल्यू.बी.सी. प्लेटलेट्स कम होने लगता है। सामान्य तौर पर यह बुखार आदि के समय होता है परंतु अगर लगातार ऐसा हो रहा है तो इसके लिए विटामिन बी 12 की जांच करानी चाहिए। उन्होंने इसके लिए अनियमित जीवन शैली तथा तंबाकू, गुटके का प्रयोग को इसके लिए जिम्मेदार बताया और कहा कि यदि गंभीर लक्षण जैस लिम्फ नोड इत्यादि हो तो बोन मैरो की जांच कराई जाती है। जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि किसी प्रकार का ब्लड कैंसर जैसे अप्लास्टिक, एनीमिया आदि तो नहीं है।

डॉ के के सावलानी और डॉ एस सी चौधरी ने क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया। डॉ एस एन गुप्ता अवार्ड, प्रथम डॉ अंकुर गुप्ता, दूसरा डॉ विवेक भगत तीसरा इमरान खान को दिया गया। डॉ एन एन गुप्ता अवार्ड में प्रथम पुरस्कार डॉ दिव्या सरीन, द्वितीय डॉ वनिषा पुंडीर तथा तृतीय डॉ अभिषेक टण्डन को मिला। डॉ जी पी एल्हेन्स अवार्ड में प्रथम पुरस्कार डॉ नाहिद, द्वितीय डॉ अंकिता सिंह तथा तृतीय छितिज प्रसाद को मिला। डा. कौशर उस्मान ने कहा कि ये सेमिनार कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। मेडिकल स्टूडेंट्स को काफी कुछ सीखने को मिला। अधिवेशन में डॉ प्रज्ञा पांडे, डॉ शीतल वर्मा आदि उपस्थित थे।

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