लखनऊ। म्यूकर माइक्रोसिस या एक्सीडेंट के कारण टूट चुकी मुंह के जबड़े की हड्डी के दूसरी हड्डी का प्रत्यारोपण किया जा सकता है। अभी तक किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डेंटल यूनिट में ही लगातार सफलता पूर्वक प्रत्यारोपण किय जा रहा है। इनमें ग्लॉबेलर इम्प्लांट नाक के रास्ते माथे की हड्डी में प्रत्यारोपण प्रमुख है। यह जानकारी मैक्सिलोफेसियल सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सर्जन डा. यू एस पाल ने केजीएमयू में एडवांस इम्प्लांटोलॉजी पर आयोजित कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कही।
काफ्रेंस में डेंटल यूनिट के डॉ. आरके सिंह को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। बनारस के डॉ. अखिलेश व केजीएमयू के डॉ. लक्ष्य कुमार को फेलोशिप से सम्मानित किया गया।
कोरोना में म्यूकर माइक्रोसिस के कारण गल चुकी जबड़े व नाक के पास की हड्डी को काफी मरीजों को निकालना पड़ा। इस तरह के मरीजों को खाने से लेकर पीने तक में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है। इसी प्रकार एक्सीडेंट की वजह से जबड़े के ऊपरी हिस्सा टूट जाता है। इसका इलाज कठिन होता है। नकली जबड़ा प्रत्यारोपित नहीं हो पाता है। ऐसे में ग्लॉबेलर इम्प्लांट नाक के पास हड्डी को लेकर वहां पर प्रत्यारोपित की जाती है। इसके अलावा मरीज की स्थिति के अनुसार गाल के समीप की हड्डी का प्रयोग भी प्रत्यारोपण करते हुए जबड़ा बनाया जा सकता है, जिससे मरीज का खाना पीना आसान हो जाता है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को काफ्रेंस में दो लाइव सर्जरी भी की गयी।
डेंटल के प्रॉस्थोडॉन्टिक्स विभाग के डॉ. लक्ष्य कुमार ने बताया कि कई बार पिछले दांत टूट जाते हैं। लोग उन्हें लगवाने में आनाकानी करते रहते हैं। होता यह है कि वहां की हड्डी अपनी जगह से हट जाती है। फिर दांत लगाने के लिए नकली हड्डी प्रत्यारोपित करनी पड़ती है। उसके बाद ही मरीज में दांत लग पाता है। इस अवसर पर कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि इस प्रकार कार्यशाला से डॉक्टरों को नयी तकनीक व अन्य जानकारी से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इसका फायदा मरीजों को मिलता है।
दंत संकाय के डॉ. आरके सिंह को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। बनारस के डॉ. अखिलेश व केजीएमयू के डॉ. लक्ष्य कुमार को फेलोशिप से सम्मानित किया गया।