कैंसर संस्थान: इस तकनीक से दोबारा बायोप्सी में नहीं होगा दर्द

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लखनऊ। चक गंजरिया स्थित कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में बायो बैंक बनाया जा रहा है। इस बैक में बायोप्सी जांच के लिए पहली बार दी गई कोशिकाओं (टिश्यू) को संरक्षित करना शुरू कर दिया गया है। इससे मरीजों को दोबारा जांच की आवश्यकता पड़ने पर संस्थान से मरीज को कोशिकाएं मिल जाएंगी। इससे मरीजों को दोबारा जांच के दौरान बायोप्सी का दर्द नहीं होगा।

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संस्थान में बायोप्सी जांच के लिए पहली बार दी गई कोशिकाओं (टिश्यू) को संरक्षित कि ये जाने की कवायद शुरू कर दी गयी है। कैंसर संस्थान में अभी लगभग 300 बिस्तर पर इलाज के लिए मरीजों की भर्ती की जा रही है। ओपीडी में प्रतिदिन 300 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां सभी प्रकार के कैंसर का इलाज मरीजों को दिया जा रहा है। मरीजों की इलाज के दौरान समस्याओं को कम करने के लिए संस्थान में सेंटर फॉर एडवांस मॉलीकुलर डायग्नॉस्टिक्स एंड रिसर्च की स्थापना की जा रही है। इससे कैंसर में रिसर्च हो सकेगा। इसके साथ ही बायोबैंक भी बनाया जाएगा। इसमें मरीजों की सभी मॉलीकुलर जांचे की जाएगी। वहीं जो भी टिश्यू जांच के लिए लैब में आएंगे उन्हें संरक्षित कर लिया जाएगा। ताकि दोबारा जांच की जरूरत पड़ने पर इन कोशिकाओं का इस्तेमाल किया जा सके। इससे मरीजों को बायोप्सी के दर्द से बचाने में मदद मिलेगी।

डाक्टरों का कहना है कि इन कोशिकाओं का प्रयोग शोध में भी किया जाएगा। इसके साथ ही और बेहतर इलाज की राह आसान होगी। वहीं गंभीर कैंसर के प्रकार और उसमें कौन सी दवा काम करेंगी। इसकी जानकारी हो सकेगी। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि मरीजों की बेहतरी के लिए लगातार काम किया जा रहा है। नयी जांच व इलाज के संसाधन जुटाने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है।
द्म

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