लखनऊ। बच्चों में होने वाले कैंसर जागरूकता अभियान महीना के अवसर पर प्रदेश में कार रैली का आयोजन किया है । जागरुकता अभियान राज्य में हक की बात अभियान नाम से नौ सितम्बर तक चलेगा। अभियान की शुरुवात बृहस्पतिवार को केजीएमयू कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने झंडा दिखा कर की। कुलपति ने इस अभियान की शुरुवात करने के बाद कहा कि देश में स्वास्थ सेवाएं पहले से अब काफी बेहतर हो रही है और बच्चों के कैंसर के सन्दर्भ में अभी भी जागरूकता की जरुरत है। उन्होंने कैनकिड्स किड्सकैन के बच्चो में होने वाले कैंसर पर कार्य की प्रशंसा की।
कैनकिड्स किड्सकैन संस्था के प्रवक्ता एवं कैंसर सर्वाइवर कपिल चावला ने बताया कि बचपन में कैंसर की जंग जीत चुके कैंसर सर्वाइवर्स के नेतृत्व में जागरूकता अभियान हक की बात चलाया गया है। इस अभियान में कैंसर सर्वाइवर्स बच्चे कैंसर से जूझ रहे अपने साथियों को इलाज की सुविधाएं मुहैया करने के अधिकार पर प्रधानमंत्री से सवाल पूछेंगे। उन्होंने बताया कि कैंसर सर्वाइवर्स ने अपने हक पर प्रधानमंत्री से बात करने के लिए प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में जाने का फैसला किया है।
देर शाम लखनऊ से बनारस जाते समय यह कैंसर सर्वाइवर्स राजधानी के केजीएमयू में कैंसर पीड़ित बच्चों के समर्थन में पैडियाट्रिक ओंकोलॉजी को गोल्डन लाइटिंग किया गया। गोल्ड बच्चों के कैंसर का प्रतीक रंग है। इस अभियान के तहत कैंसर से जूझ रहे बच्चों के हिम्मत और साहस के प्रतीक के रूप में अस्पतालों को गोल्डन रंग की रोशनी से सजाया जाता है। इस अवसर पर कैंसर पर जीत हासिल कर चुके संदीप यादव और विकास यादव ने चाइल्ड कैंसर के इलाज को प्राथमिकता देने का बीड़ा उठा लिया है। हम उनसे कैंसर से जूझ रहे बच्चों के इलाज को प्राथमिकता देने और इलाज की सारी सुविधाएं मुहैया कराने पर बात करना चाहते हैं। हम उनसे अपने हक की बात करना चाहते हैं।
कैंसर सर्वाइवर्स के अनुसार हम प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं कि कैंसर से जूझ रहे 76 हजार बच्चों से केवल 15 हजार बच्चे ही क्यों अस्पताल पहुंच पाते हैं। मुझे जब कैंसर था, तब मुझे 22 अस्पतालों में क्यों जाना पड़ा कैंसर के इलाज के संबंध में अस्पतालों और डॉक्टरों के पास जानकारी कम क्यों है, इसका नतीजा यह होता है कि जब तक वह इलाज के लिए सही अस्पताल में पहुंचते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। । उन्होंने कहा हम यह पूछना चाहते हैं कि मैं जिस शहर में पैदा हुआ। उस शहर में मुझे कैंसर के इलाज के लिए बेहतर दवाएं अस्पताल और इलाज के अच्छे संसाधन क्यों नहीं मिलेगा।
इस अभियान का मकसद कैंसर के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता उत्पन्न करना है। कैंसर के इलाज के लिए आर्थिक संसाधन जुटाना और बच्चों के कैंसर के इलाज के लिए फ्रेंडली नीतियां बनाने पर जोर डालना होगा। गौरतलब है कि भारत में कैंसर से जूझ रहे 40 फीसदी बच्चे ही कैंसर की जंग में जीत पाते हैं। जबकि दुनिया में कैंसर से पीड़ित 90 फीसदी बच्चों को जिंदगी मिल जाती है।
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