लखनऊ । कैंसर को नयी तकनीक आैर दवाओं से मात देना आसान हो गया है। प्रदेश के कैंसर संस्थान, पीजीआई के अलावा बनारस स्थित टाटा कैंसर संस्थान में सभी प्रकार के कैंसर का इलाज हो रहा है। इन संस्थानों में मरीजों को उच्चस्तरीय इलाज मिल रहा है। यह बात उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को पीजीआई में आयोजित इंटरनेशनल ब्रोस्ट री-कंस्ट्रक्शन एंड एस्थेटिक सर्जरी (ब्रोस्कॉन 2023) कार्यशाला में सम्बोधित करते हुए कही। कार्यशाला में विशेषज्ञ डाक्टरों के अलावा फिल्म अभिनेत्री महिमा चौधरी भी मौजूद थी। महिमा चौधरी को उपमुख्य मंत्री ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि कैंसर जटिल बीमारी है। मरीज हर समय बीमारी के बारे में सोचते हैं और इलाज कराने से घबराते हैं। प्रदेश में सभी तरह के कैंसर का आधुनिक इलाज उपलब्ध है। कैंसर से जंग में आत्मविश्वास जरूरी है। कैंसर की बढ़ती रफ्तार ने डॉक्टरों के सामने चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। कैंसर की पहचान के लिए जल्दी स्क्रीनिंग कार्यक्रम चलाएं, ताकि शुरुआत में ही रोग का पता लग सके। डॉक्टर इलाज की सुविधा को बेहतर बनाने के लिए सुझाव दें।
पीजीआई के प्लास्टिक सर्जन प्रो अंकुर भटनागर ने बताया कि ब्रोस्ट कैंसर के इलाज में होने वाली सर्जरी के दौरान कांख से लिम्फनोड निकाल दिए जाते है जिससे 20 फीसदी महिलाओं में हाथ में सूजन की परेशानी होती है। हाथ काम नहीं कर पाता है। इस परेशानी के इलाज के लिए लिम्फोवीनस एनेस्टोमोसिस करते है। इस तकनीक में हाथ में बचे लिम्फैटिक वेन को खोज कर वेन से जोड़ देते है जिससे लिम्फ द्रव रक्त प्रवाह में चला जाता है। हाई रेज्युलेशन माइक्रोस्कोप से देखते हुए लिम्फैटिक वेन को मुख्य रक्त वाहिका ( वेन ) से जोड़ देते है। ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन एंड एस्थेटिक सर्जरी एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं जयपुर मेडिकल कालेज के प्रो. प्रदीप गोयल ने कहा कि भारत में दो फीसदी महिलाएं ब्रोस्ट री कांस्ट्रेक्शन कराती है। इसमें खर्च 50 हजार के आस-पास सरकारी अस्पताल में आता है।