उर्दू कविता : बड़ा ही लाज़मी धड़कनों का तमाशा है
उर्दू कविता
बड़ा ही लाज़मी धड़कनों का तमाशा है,
निगाहों ने भीड़ में आज उसे तलाशा है,
हाथों से अपने रब ने जिसे तराशा है .
- दिलीप...
Ghazal : It is Just My Unique Style of Representation
It is just my unique style of representation
That, in my Ghazals people see her reflection
The words become fragrant automatically
When Eyes start taking part in...
ग़ज़ल : आखिर क्यूँ न धड़के दिल ख्वाबों के सीनों का
आखिर क्यूँ न धड़के दिल ख्वाबों के सीनों का
छलकता नूर है वो दिल के आब गीनों का
उठती है दिल में जब मौजे उसके ख़यालों...