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पीजीआई के हेपेटोलॉजी विभाग का के दूसरे स्थापना दिवस विशेषज्ञों ने फैटी लिवर के बचाव के दिये टिप्स
लखनऊ। बदली जीवन शैली और गलत खानपान से बच्चों और बड़ों का लिवर फैटी बना रहा है। फैटी लिवर आम बीमारी हो गई है। हाल में एक शोध में 39 फीसदी वयस्क और 35 फीसदी बच्चों में फैटी लिवर की समस्या देखने को मिली है। यह सभी नॉन एल्कोहॉलिक है। यह जानकारी पीजीआई चंडीगढ़ के हेपेटोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. अजय दुसेजा ने दी। वह संजय गांधी पीजीआई के हेपेटोलॉजी के दूसरे स्थापना दिवस पर शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे। डॉ.अजय दुसेजा ने बताया कि 25 हजार बच्चों एवं बड़ों के फैटी लिवर पर किये शोध में यह आंकड़े सामने आए हैं।
कार्यक्रम में पीजीआई निदेशक प्रो. आरके धीमन, प्रो. अमित गोयल, डॉ. सुरेंद्र सिंह व डॉ. अजय कुमार मिश्रा ने देश के 70 से अधिक लिवर रोग विशेषज्ञों विचार रखे। एम्स दिल्ली के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अनूप सराया ने फैटी लिवर से बचाव के टिप्स दिये।इलाज होने पर कैंसर का खतरा पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन का कहना है कि लिवर की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में फैट इकट्ठा होने पर लिवर का आकार बढ़ जाता है। इसे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। हेपेटाइटिस और पीलिया हो जाता है। सही समय पर इलाज न मिलने पर लिवर सख्त और सिकुड़ जाता है। कुछ समय बाद लिवर सिरोसिस और इसके बाद कैंसर होने की आंशका बढ़ जाती है। आखिर में लिवर प्रत्यारोपण ही आखिरी विकल्प बचता है।
यह फैटी लिवर डिजीज
लिवर की कोशिकाओं में जब ज्यादा मात्रा में फैट इकट्ठा होने पर लिवर फैटी हो जाता है। लिवर में थोड़ी-बहुत मात्रा में फैट का होना नॉर्मल है लेकिन जब ये फैट लीवर के वजन से 10 प्रतिशत ज्यादा हो जाए तो स्थिति खराब होने लगती है। इससे लिवर के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। वर्तमान में, फैटी लिवर के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। प्रारंभिक फैटी लिवर आमतौर पर आहार परिवर्तन, वजन घटाने, व्यायाम से निजात पाया जा सकता है। अधिक फाइबर युक्त आहार, कम वसा और कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार शामिल कराएं।