लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थित ट्रामा सेंटर में पांचवी मंजिल पर चल रही क्रिटिकल केयर मेडिसिन यूनिट को चार भागों में विभाजित कर दिया गया है। इससे मरीजों को अलग – अलग श्रेणी में बांट कर इलाज करना आसान हो गया है। इसके साथ ही रेजीडेंटों का विभिन्न प्रकार के मरीजों का प्रशिक्षिण भी दिया जा रहा है। बताते चले कि ट्रामा से रेस्पेरेटरी इंटेसिव केयर यूनिट (आरआईसीयू) के शताब्दी अस्पताल शिफ्ट होने के बाद रिक्त स्थान को क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग को दे दिया गया था। यूनिट का विस्तारीकरण होने के बाद यूनिट को चार हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव तैयार किया गया।प्रस्ताव को अमली जामा पहनाते हुए यूनिट के चार भागों में अलग- अलग आठ- आठ वेंटीलेटर रखे गए हैं। इसमें पहले भाग में महिलाएं भर्ती की जा रही है।
यहां पर वरीयता के आधार पर महिला रेजीडेंट लगाई जाती हैं, ताकि महिला अपनी बात खुल कर बोल सके आैर उनकी स्थिति समझने में थोड़ी सहूलियत हो सके। काफी हद तक यह प्रयोग सफल भी रहा है। इसी तरह दूसरे भाग में न्यूरो क्रिटिकल केयर रखा गया है। इसी तरह तीसरे भाग में क्रिटिकल टॉक्सोलॉजी यूनिट बनाया गया है। इसमें जहरीला पदार्थ खाकर आने वाले मरीजों का इलाज किया जाएगा। ऐसी स्थिति में टॉक्सोलॉजी में रूचि रखने वाले रेजीडेंटों को रिसर्च में आसानी होती है। इसी तरह चौथे हिस्स्से में सामान्य किस्म के मरीजों को रखा जाता है। मरीजों केलिए कैटेगरी के हिसाब से आठ-आठ बेड अलग कर देने से उनके इलाज में आसानी होती है। संबंधित कैटेगरी के मरीज के लिए कौन सा प्रोटोकॉल फालो करना है, इसमें रेजीडेंटों को इलाज करना आसान हो जाता है।
इस तरह एक तरह मरीजों का इलाज बेहतर हो पाता है, तो दूसरी तरफ रेजीडेंटों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता बढ़ रही है। प्रभारी डा. अविनाश अग्रवाल ने बताया कि यूनिट को चार हिस्से में बांटने से मरीजों को काफी फायदा मिल रहा है। जिस तरह से अलग- अलग विभाग बंटे होते हैं, उसी तरह से सीसीएम को बांटने से इलाज की गुणवत्ता बढ़ गई है। डाक्टर और नर्सिंग स्टाफ को पता रहेगा कि संबंधित यूनिट में किस तरह के मरीज कौन सा मरीज कितना गंभीर है आैर उच्चस्तरीय इलाज मिल सकेगा।
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