अब संभव है सिरियस हार्ट फेलियर का उपचार ें
अपडेट एवं मैनेजमेंट ऑफ हार्ट फेलियर विषय पर विशेषज्ञों ने एरा में किया मंथन
्ल्खनऊ । देश के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर शाहिद ए मर्चेंट ने कहा कि दिल की बीमारी का उपचार के बजाय उसकी रोकथाम आज की बड़ी चुनौती है। खासतौर पर युवा वर्ग में हार्ट अटैक की शिकायत काफी बढ़ गयी है। इसकी सबसे बड़ी वजह मौजूदा लाइफ स्टाइल है। खान-पान बिगडऩा, स्मोकिंग, देर रात को सोना, तनाव और मोटापे का चलन पढ़ गया है। ये कारक सीधे तौर पर दिल को चोट पहुंचाते हैं और उसके सिस्टम को प्रभावित करते हैं। डॉक्टर शाहिद ए मर्चेंट शनिवार को एरा लखनऊ मेडिकल कालेज में अपडेट एवं मैनेजमेंट आफ हार्ट फेलियर विषय पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। डॉक्टर शाहिद ए मर्चेंट देश के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट में से एक हैं, अभी हाल ही में जी-20 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में उन्होंने भारत के तरफ से प्रतिनिधित्व किया था। वो मुम्बई स्थित लिलावती हास्पिटल एवं रिसर्च सेन्टर के फाउंडर सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि हार्ट फेलियर के मामलों के उपचार के लिए विश्व में कई रिसर्च हो रही है, ताकि हार्ट ट्रांसप्लांट के स्थान पर मरीज को सही किया जा सके। इनमे वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस महत्वपूर्ण है। कृत्रिम हार्ट का भी उपयोग हो रहा है। वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस ऐसा उपकरण है जो हृदय को रक्त पंप करने में मदद करता है। जिसका इस्तेमाल दिल की विफलता के इलाज में किया जाता है। अभी ये पम्प विदेशों की काफी महंगा हैं, इसके इंडिय वर्जन पर कार्य चल रहा है, जो काफी सस्ता होगा। आंकड़े बताते हैं कि भारत गत वर्ष 28 हजार से अधिक लोगों की हार्ट अटैक से मौत हुई थी।
इसमे से 30 प्रतिशत 30 से 45 वर्ष के युवा थे। इन आंकड़ों पर चिंता जाहिर करते हुए डॉ मर्चेंट ने कहा कि तनाव में रहने से सूजन वाले हार्मोन निकलते हैं, जिसका सीधा असर दिल पर पड़ता है। लंबे समय तक तनाव में रहने से ब्लड कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर बढ़ता है जो दिल का बड़ा दुश्मन है। इसी तरह स्मोकिंग और तम्बाकू से भी खतरनाक केमिकल शरीर में पहुंच जाते हैं। ये केमिकल हार्ट और ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे दिल से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने ये भी बताया कि कोरोना वायरस ने भी दिल की बीमारियों को बढ़ा दिया है। कोरोना की मरीजों मायोकार्डिटिस देखने को मिल रही है। मायोकार्डिटिस का मतलब दिल की मांसपेशियों की सूजन है, जो दिल को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचा सकता है, हार्ट फेलियर की वजह भी बन सकता है। उन्होंने कहा कि हमे अपने दिल की नियमित जांच करानी चाहिए। 40 वर्ष के ऊपर के व्यक्ति को एनटी-प्रोबीएनपी, इको और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट कराना चाहिए ताकि अगर कोई समस्या है तो उसका समाधान किया जा सके। लोगों को अपने खानपान और दिनचर्या का बहुत ख्याल रखना चाहिए।
केजीएमयू के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ एसके द्विवेदी ने कहा कि ध्रूमपान करने वालों में हार्ड अटैक की संभावना 80 प्रतिशत बढ़ जाती है। शुगर और बीपी को कंट्रोल कर हार्ट को सुरक्षित रखा जाता है। एरा मेडिकल कालेज के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ खालिद इकबाल ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि जल्द ही एरा मेडिकल कालेज एक टीम गठित करेगा, ताकि बढ़ रहे हार्ट अटैक और फेलियर की समस्या का समाधान किया जा सके। इस मौके पर एरा विश्वविद्यालय के कुलपति अब्बास अली मेहदी, अतिरिक्त निदेशक जॉ अली खान, डीन डॉ एमएमए फरीदी, प्रधानाचार्य डॉ जमाल मसूद, केजीएमयू के डॉ कौसर उस्मान, एरा मेडिसिन विभाग की प्रमुख जलीस फातिमा, डॉ वैभव शुक्ला, क्रिटिकल केयर के प्रमुख डॉ मुस्तहसिन मलिक सहित बड़ी संख्या में डॉक्टर और मेडिकल छात्र मौजूद थे।
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