लखनऊ – राजकीय चिकित्सालयों की पैथालॉजी में अभी तक डिप्लोमा धारक लैब टेक्नीशियन, पैथालाजिस्ट के साथ – साथ अच्छी मशीनों से हो रही जांचों पर जनता और चिकित्सकों का विश्वास था , लेकिन कुछ दिनों पूर्व सरकार ने 24 घण्टे पैथालॉजी के नाम पर राजकीय चिकित्सालयों की पैथालोजी को प्राइवेट मशीन, प्राइवेट कर्मियों के हवाले कर दिया गया । पीपीपी के नाम पर पी ओ सी टी को मशीन लगाने का जिम्मा मिला, इस कंपनी ने अपनी मशीन लगाई , पैथालोजी को सुसज्जित किया साथ ही मानव संसाधन भी उपलब्ध कराए, परंतु कंपनी ने सामान्य प्रारंभिक मानकों का पालन भी नही किया, पैथालोजी में अप्रशिक्षित लोग कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में रखे गए, जिन्हें पैथालोजी का तकनीकी ज्ञान नहीं है।
प्रशिक्षित लैब टेक्नीशियन आज लैब में किनारे पड़े हैं ज्यादातर जाँचे अप्रशिक्षित लोग कर रहे हैं, जिससे जांच रिपोर्ट प्रभावित हो रही हैं।
बहुत से मरीज एक समय मे अलग अलग पैथालोजी में जांचे करवा रहे हैं, POCT की रिपोर्ट में कई बार गलतियां पाई जा रही हैं । जिससे चिकित्सकों के मन मे भी आशंका व्याप्त हो रही है, दबी जबान चिकित्सक मरीज को बाहर से भी जांच करवाकर मिलान करने की बात करने लगे हैं , वहीं कर्मचारी संगठन भी मानव संसाधन के दुरुपयोग पर नाराज हैं , यह मामला जीवन मृत्यु से जुड़ा है । एक भी गलत जांच रिपोर्ट पूरे इलाज को गलत दिशा में मोड़ सकती है । कंपनी जांचों में प्रयुक्त केमिकल की स्वयं आपूर्ति करती है जो मूल और वास्तविक दर से सैकड़ो गुना ज्यादा दर से सरकार द्वारा खरीदी जा रही है , शासकीय धन का अपव्यय हो
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