लखनऊ – राजकीय नर्सेस संघ उत्तर प्रदेश के महामंत्री तथा, आल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेस फेडरेशन नई दिल्ली के उपाध्यक्ष अशोक कुमार का कहना है कि छत्तीसगढ़ की की नर्सेस अपनी जायज मागों को लेकर शान्तिपूर्ण ढग से आन्दोलित थी कि हमें भी केंद्र के बराबर वेतनमान व भत्ते दिये जाये परन्तु सरकार एक ना सुनी उल्टे सभी नर्सेस को जेल में बन्द कर दिया, जो कि अत्यंत खेदजनक व दुर्भाग्य पूर्ण है. जबकि भारत सरकार द्वारा बेटी पढायो बेटी बचाओ अभियान चलाया जा रहा है साथ ही महिलाओं की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए निरंतर नयी नयी योजनाएं लागू की जा रही हैं जिसके किर्यान्वन मे नर्सेस की समपूर्ण भागीदारी रहती है, किंतु छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भारत सरकार की उपरोक्त योजनाओं पर पानी फेरने का काम किया जा रहा है.
जिसके कारण उत्तर प्रदेश ही नहीं समूचे हिन्दुस्तान की नर्सेस मे आक्रोश व्याप्त है, यदि छत्तीसगढ़ सरकार जल्द से जल्द बिना शर्त नर्सेस को रिहाई नहीं करती एवं उनकी जायज मागे पूर्ण नहीं करती है, तो मजबूर होकर उत्तर प्रदेश के साथ ही हिन्दुस्तान की समस्त नर्सेस हडताल पर जाने के लिए बाध्य होगी. जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ सरकार एवं भारत सरकार की होगी. राजकीय नर्सेस सघं उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ सरकार एवं भारत सरकार से ये मागं करता है कि जिस देश मे एक टैक्स हो सकता है तो एक वेतनमान व भत्ते क्यों नहीं हो सकता है।राजकीय नर्सेस सघं उत्तर प्रदेश के महामंत्री तथा, आल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेस फेडरेश नई दिल्ली के उपाध्यक्ष अशोक कुमार यह चेतावनी दी है. उधर 15 दिनों से ज्यादा समय से हड़ताल कर रही नर्सों को एस्मा के तहत शुक्रवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. नर्सों को गिरफ्तार करने के बावजूद शासन और प्रशासन उनकी हड़ताल को खत्म करवाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं.
नर्सों की हड़ताल खत्म कराने केन्द्रीय जेल रायपुर पहुंचे जिला कलेक्टर ओपी चौधरी ने जेल के अंदर ही नर्स यूनियन की नेताओं से मुलाकात की. लगभग 2 घंटे तक चली बातचीत में कलेक्टर नर्सों को मनाने में विफल रहे. कलेक्टर चौधरी ने नर्सों से कहा कि मामला राजनीतिक रंग लेने लगा है लिहाजा उन्हें अपनी हड़ताल खत्म कर देनी चाहिए. उन्होंने नर्सों को बताया कि उनकी मांगों को लेकर शासन ने कमेटी का गठन किया है और कमेटी की रिपोर्ट आते ही उनकी मांगों पर फैसला लिया जाएगा.
इधर कलेक्टर के सामने नर्सों ने हड़ताल खत्म करने के लिए अपनी नई शर्त रख दी है. उन्होंने कलेक्टर से कहा कि उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात कराई जाए. सीएम से मुलाकात के बाद ही वो हड़ताल खत्म करने पर फैसला लेंगी. उधर नर्सों से चर्चा विफल होने पर बाहर निकले कलेक्टर पहले मीडिया के सवालों से बचते रहे लेकिन मीडिया के बार-बार सवाल करने पर उन्होंने इतना ही कहा कि हम समझाने की कोशिश कर रहे हैं. कलेक्टर से चर्चा विफल होने के बाद नर्सों ने अपने आंदोलन को और उग्र कर दिया है जेल के अंदर ही वे भूख हड़ताल पर बैठ गई हैं.
नर्सों की गिरफ्तारी के बाद उनके परिजन भी बेतहाशा परेशान हैं वे छोटे-छोटे बच्चों के साथ धूप में जेल के बाहर किसी सकारात्मक पहल का इंतजार कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस ने हड़ताली नर्सों को अपना समर्थन दे दिया है. फिलहाल चुनावी सीजन में हड़ताल से पस्त सरकार अब नर्सों को कांग्रेस के समर्थन देने से सकते में है. ऐसे में बातचीत के विफल होने से अधिकारियों के पेशानी पर पसीना आना शुरु हो गया है.
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